KNEWS DESK – अभिषेक बच्चन की हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘आई वांट टू टॉक’ को लेकर दर्शकों और इंडस्ट्री में चर्चा हो रही है। शूजित सरकार के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक संवेदनशील कहानी के साथ दर्शकों के दिलों तक पहुंचने की कोशिश करती है। हालांकि, बॉक्स ऑफिस पर इसकी शुरुआत धीमी रही है, लेकिन कलाकारों के अभिनय और कहानी को लेकर दर्शकों और आलोचकों ने सराहना की है।
कहानी जो दिल छू लेती है
‘आई वांट टू टॉक’ एक फैमिली ड्रामा है, जो सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। फिल्म में अभिषेक बच्चन ने अर्जुन सेन नामक एनआरआई का किरदार निभाया है, जो कैंसर से जूझ रहा है और सर्जरी से गुजरता है। इस मुश्किल समय में, वह अपनी बेटी के साथ पुराने और जटिल रिश्तों को सुधारने की कोशिश करता है। रितेश शाह द्वारा लिखी गई इस कहानी ने भावनात्मक गहराई से दर्शकों का ध्यान खींचा है।
फिल्म में अहलिया बामरू, बनिता संधू और जॉनी लीवर ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। इसे कैलिफोर्निया की खूबसूरत लोकेशंस पर शूट किया गया है, जो फिल्म को और भी वास्तविक बनाती हैं।
अमिताभ बच्चन का रिव्यू
अभिषेक बच्चन के अभिनय की तारीफ खुद उनके पिता अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग के माध्यम से की। बिग बी ने कहा कि यह फिल्म इतनी प्रभावशाली है कि दर्शक खुद को कहानी का हिस्सा महसूस करते हैं। उन्होंने अभिषेक के अर्जुन सेन के किरदार को “जीवंत और मार्मिक” बताते हुए उनके प्रदर्शन को सराहा।
अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में ट्रोल्स पर भी कटाक्ष किया और हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियों का जिक्र करते हुए लिखा कि किसी की अच्छाई या बुराई देखना दूसरों की ज़रूरत होती है। उन्होंने अपने बेटे की सराहना करते हुए कहा कि आलोचना के बावजूद अभिषेक हमेशा अपनी प्रतिभा से प्रभावित करते हैं।
फिल्म की बॉक्स ऑफिस यात्रा
बजट के लिहाज से ‘आई वांट टू टॉक’ करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से बनी है। हालांकि, फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन अब तक संतोषजनक नहीं रहा। पहले दिन फिल्म ने मात्र 25 लाख रुपये की कमाई की, जबकि दूसरे दिन यह बढ़कर 55 लाख और तीसरे दिन 50 लाख रुपये रही। कुल मिलाकर, फिल्म ने अब तक सिर्फ 1.30 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है।
फिल्म को लेकर दर्शकों की राय
फिल्म की कहानी और अभिनय को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जहां कुछ लोग इसे दिल को छू लेने वाली कहानी बता रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि फिल्म की धीमी गति दर्शकों को बांधने में असफल रही।