फिल्म ‘जाट’ पर FIR होने के बाद निर्देशक गोपीचंद मालिनेनी ने दी सफाई, बोले- “मैं सिर्फ अपना काम करता हूं”

KNEWS DESK – बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल की हालिया फिल्म ‘जाट’ जहां बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है, वहीं दूसरी ओर ये फिल्म एक गंभीर धार्मिक विवाद में उलझती नजर आ रही है। फिल्म पर ईसाई समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा है, जिससे फिल्म की टीम पर कानूनी कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है। इस बीच फिल्म के निर्देशक गोपीचंद मलीनेनी ने चुप्पी तोड़ते हुए इस विवाद पर खुलकर अपनी बात रखी है।

किस सीन पर हुआ विवाद?

विवाद की जड़ फिल्म का एक सीन है, जिसमें कथित तौर पर प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ने जैसा दृश्य दिखाया गया है। यह सीन ईसाई समुदाय के एक वर्ग को आपत्तिजनक लगा, जिसके चलते जालंधर के सदर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह सीन न केवल धार्मिक भावनाएं आहत करता है, बल्कि इससे सामाजिक सौहार्द भी बिगड़ सकता है।

शिकायत में फिल्म के निर्देशक गोपीचंद मलीनेनी के साथ-साथ अभिनेता सनी देओल और रणदीप हुड्डा के नाम भी शामिल हैं। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फिल्म के संबंधित सीन की समीक्षा की जा रही है।

निर्देशक ने ट्रोलिंग और विवाद पर क्या कहा?

इंडिया टुडे को दिए गए एक इंटरव्यू में निर्देशक गोपीचंद मलीनेनी ने इस पूरे विवाद को लेकर कहा आज के दौर में हर किसी के पास सोशल मीडिया है और हर कोई अपनी राय रखता है – चाहे वो राजनीति हो या धर्म। किसी को भगवान शिव प्रिय होते हैं, किसी को बालाजी। ठीक वैसे ही, फिल्मों को लेकर भी सबकी सोच अलग होती है। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें सोशल मीडिया ट्रोलिंग से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वो सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते हैं और वही करते हैं जो उन्हें रचनात्मक रूप से सही लगता है।

विवाद के बावजूद निर्देशक ने यह साफ कर दिया है कि फिल्म ‘जाट 2’ की तैयारी जोरशोर से चल रही है। उन्होंने बताया कि जून से वो नंदमुरी बालकृष्ण के साथ एक तेलुगु फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे। उसके बाद ‘जाट 2’ की स्क्रिप्टिंग और प्रोडक्शन पर फोकस किया जाएगा। पहली फिल्म की स्क्रिप्टिंग के समय ही उन्होंने सीक्वल के लिए कई आइडिया तैयार कर लिए थे। गोपीचंद को पूरा यकीन है कि ‘जाट 2’ दर्शकों को पहले से भी ज्यादा पसंद आएगी।

डिजिटल युग में फिल्मकारों की चुनौती

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आज के डिजिटल युग में फिल्मकारों को कितनी सतर्कता बरतनी होती है। धार्मिक संदर्भ, सामाजिक दृष्टिकोण और दर्शकों की संवेदनशीलता अब किसी भी फिल्म के निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।

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