डिजिटल डेस्क- बिहार की राजधानी पटना में आज कांग्रेस की कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की ऐतिहासिक बैठक होने जा रही है। 85 साल बाद बिहार की राजधानी इस अहम राजनीतिक बैठक की गवाह बनेगी। सदाकत आश्रम में होने वाली इस बैठक में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व आगामी विधानसभा चुनावों और “वोट चोरी” के मुद्दे पर रणनीति तय करेगा। बैठक का सबसे बड़ा आकर्षण राहुल गांधी रहेंगे। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी इस बैठक को संबोधित करेंगे और बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की भूमिका को स्पष्ट करेंगे। बैठक समाप्त होने के बाद राहुल गांधी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं के साथ भी संवाद करेंगे। खास तौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा और सीट बंटवारे के विवाद को सुलझाने के लिए वे पहल करेंगे।
पटना के होटल चाणक्य में बैठक के बाद हो सकती है प्रेस कॉन्फ्रेंस
राहुल गांधी की इस कवायद में बिहार की राजनीति का एक और बड़ा चेहरा तेजस्वी यादव भी उनके साथ खड़े नज़र आएंगे। दोनों नेता पटना के होटल चाणक्य में होने वाली विपक्षी बैठक में शामिल होंगे और बाद में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर सकते हैं। राजनीतिक हलकों में इसे महागठबंधन की एकजुटता का मजबूत संदेश माना जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश समेत कई वरिष्ठ नेता बैठक में मौजूद रहेंगे। हालांकि प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी इसमें शामिल नहीं होंगी। बता दें कि यह बैठक न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि पूरे बिहार के लिए ऐतिहासिक मानी जा रही है। आजादी के बाद पहली बार बिहार में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही है। इससे पहले यहां 1912, 1922 और 1940 में बैठकें हुई थीं।
यह बैठक अपने फैसलों से रचेगी इतिहास- पवन खेड़ा
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि ऐतिहासिक राज्य और ऐतिहासिक शहर में होने वाली यह बैठक अपने फैसलों से भी इतिहास रचेगी।” वहीं बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम ने कहा कि “आजादी के बाद बिहार में पहली बार CWC की बैठक हो रही है, यह राज्य के लिए बेहद खास क्षण है।” कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी इसे बिहार के लिए ऐतिहासिक अवसर बताते हुए कहा कि यह बैठक बिहार के लोगों को कांग्रेस की सामाजिक न्याय और विकास के प्रति प्रतिबद्धता दिखाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का साझा मंच पर आना न केवल बिहार बल्कि पूरे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के लिए महत्वपूर्ण संकेत होगा। इससे यह संदेश जाएगा कि विपक्ष एकजुट होकर भाजपा को चुनौती देने के लिए तैयार है।