तेजस्वी यादव के वोटर लिस्ट वाले बयान पर मचा बवाल, सोशल मीडिया पर ट्रोल, भाजपा ने बताया “झूठ की राजनीति”

KNEWS DESK- राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे तेजस्वी यादव एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। शनिवार दोपहर तेजस्वी यादव ने एक आपातकालीन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है, जिससे वह आगामी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। लेकिन कुछ ही घंटों में यह दावा सोशल मीडिया पर गलत साबित हो गया। तेजस्वी के इस बयान को लेकर उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया जा रहा है और राजनीतिक विरोधियों ने इसे “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया है।

प्रेस वार्ता के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा “मैं खुद वोटर लिस्ट में नहीं हूं। जब मेरा ही नाम हटा दिया गया, तो चुनाव कैसे लड़ूंगा? चुनाव आयोग को जवाब देना होगा कि यह किसके इशारे पर हुआ।”

उन्होंने दावा किया कि बिहार के लाखों गरीबों के नाम भी इसी तरह से हटाए गए हैं और चुनाव आयोग मतदाता सूची में भारी हेरफेर कर रहा है।

तेजस्वी के बयान के कुछ ही समय बाद सोशल मीडिया यूज़र्स ने चुनाव आयोग की वेबसाइट से उनका नाम, पता और मतदाता क्रमांक निकालकर सार्वजनिक कर दिया। यह जानकारी तुरंत वायरल हो गई और तेजस्वी के दावे पर सवाल खड़े हो गए।

भाजपा नेताओं ने इसे “झूठ की राजनीति” बताते हुए आक्रामक रुख अपनाया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव का मतदाता सूची में नाम वाला हिस्सा, उनकी तस्वीर के साथ शेयर करते हुए लिखा “झूठ की भी हद होती है। तेजस्वी जी, पहले तथ्य तो चेक कर लेते! जनता को भ्रमित करने की कोशिश मत कीजिए।”

तेजस्वी यादव के बयान के बाद सोशल मीडिया पर #FakeClaim, #VoterListDrama जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई यूज़र्स ने लिखा कि यह सब जनता की सहानुभूति बटोरने और सिस्टम के खिलाफ बेवजह आक्रोश पैदा करने की कोशिश है। कुछ ने पुरानी घटनाओं का हवाला देते हुए राजद को “नाटक की राजनीति” करने वाली पार्टी बताया।

भारत निर्वाचन आयोग ने भी तेजस्वी यादव के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनका नाम प्रारूप मतदाता सूची में क्रमांक 416 पर दर्ज है और वह मतदाता हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया से तैयार की जाती है और इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप संभव नहीं है।