बिहार चुनाव से पहले सख्त हुए नीतीश कुमार, 11 नेताओं को दिखाया पार्टी से बाहर का रास्ता

डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जनता दल (यूनाइटेड) में बगावत खुलकर सामने आ गई है। टिकट न मिलने से नाराज कई नेताओं ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया, जिसके बाद मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कड़ा कदम उठाते हुए 11 बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने इसे अनुशासन कायम रखने और संगठन की एकजुटता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण फैसला बताया है।

बागी नेताओं पर नीतीश की सख्ती

जदयू ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी अनुशासनहीनता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी। जिन नेताओं पर कार्रवाई की गई है, उनमें एक मौजूदा विधायक, एक पूर्व मंत्री, दो पूर्व विधायक और एक पूर्व विधान पार्षद शामिल हैं। पार्टी की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि इन सभी नेताओं ने पार्टी की नीतियों के विपरीत जाकर चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लिया, जिसके कारण उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुए पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है।

निष्कासित नेताओं की सूची

जिन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, उनमें जमालपुर (मुंगेर) के पूर्व मंत्री शैलेश कुमार, चकाई (जमुई) के 2020 के उम्मीदवार संजय प्रसाद, बड़हरिया (सिवान) के पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह, बरहरा (भोजपुर) के पूर्व विधायक रणविजय सिंह और बरबीघा (शेखपुरा) के मौजूदा विधायक सुदर्शन कुमार शामिल हैं। इनके अलावा साहेबपुर कमाल (बेगूसराय) के अमर कुमार सिंह, महुआ (वैशाली) की आसमा परवीन, नवीनगर (औरंगाबाद) के लव कुमार, कदवा (कटिहार) की आशा सुमन, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) के दिव्यांशु भारद्वाज और जीरा देई (सिवान) के विवेक शुक्ला के नाम भी इस सूची में शामिल हैं।

निर्दलीय बनकर चुनौती देने उतरे बागी

पार्टी टिकट से वंचित होने के बाद इन नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में या अन्य दलों के समर्थन से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। कई क्षेत्रों में ये नेता स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं, जिससे जदयू के आधिकारिक प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खासकर मुंगेर, सिवान, शेखपुरा और कटिहार जैसे जिलों में बागी उम्मीदवार वोटों में सेंध लगा सकते हैं।