शिव शंकर सविता- बिहार की सियासत इस वक्त टिकट बंटवारे के घमासान में पूरी तरह गरमाई हुई है। विधानसभा चुनाव करीब हैं और नामांकन प्रक्रिया के पहले चरण में अब सिर्फ चार दिन बचे हैं। इसी बीच, जेडीयू के कद्दावर नेता और विधायक गोपाल मंडल ने ऐसा कदम उठा लिया है, जिससे पार्टी दफ्तर से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक हलचल मच गई है।
बिना झंडे और बैनर के बैठे धरने पर
दरअसल, गोपाल मंडल सोमवार सुबह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 1, अणे मार्ग स्थित आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। उनके हाथ में कोई झंडा या बैनर नहीं था, लेकिन चेहरे के तेवर बता रहे थे कि वे किसी भी कीमत पर “गोपालपुर सीट” का टिकट लिए बिना उठने वाले नहीं हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में साफ कहा — “हां, हम कद्दावर नेता हैं… और टिकट तो एकदम मिलेगा। बिना टिकट लिए यहां से हिलने वाला नहीं हूं।”
सीएम से मिलने की कोशिशें हुई बेकार, नहीं हुई मुलाकात
सुबह से लेकर दोपहर तक उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि वे सुबह साढ़े आठ बजे से सीएम हाउस के गेट पर खड़े हैं, और मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी भी दे दी गई है। उनके साथ मौजूद समर्थक लगातार नारे लगा रहे थे — “गोपाल मंडल जिंदाबाद!” — जिससे माहौल और भी रोचक बन गया। धरने पर बैठे मंडल ने नीतीश कुमार के कुछ करीबी सहयोगियों पर टिकट कटवाने की साजिश का आरोप लगाया। उनका कहना है कि “सीएम के आसपास कुछ लोग हैं जो गलत जानकारी दे रहे हैं। मैं खुद सीएम से मिलकर सच बताना चाहता हूं। अगर पार्टी को जीत दिलाई है, तो टिकट भी मुझे ही मिलना चाहिए।”
जदयू को छोड़ने की बात को सिरे से नकारा
बीते दिनों यह खबर आई थी कि गोपाल मंडल ने जेडीयू छोड़ दी है, लेकिन उन्होंने मीडिया के सामने इस बात को पूरी तरह नकार दिया। उन्होंने कहा — “हम नीतीश कुमार के सिपाही हैं, लेकिन अब अपने अधिकार के लिए आवाज उठाना जरूरी हो गया है।” इससे पहले भी गोपाल मंडल सुर्खियों में रहे हैं। कुछ समय पहले उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने पार्टी पर अति पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि “20 सालों तक पार्टी ने हमारे समुदाय के वोटों का फायदा तो उठाया, लेकिन अधिकार और सम्मान देने में कोताही बरती।”
धरने का होगा अंत या और लंबा चलेगा सियासी धरना?
अब जब टिकट बंटवारे का दौर चरम पर है, तब गोपाल मंडल का यह धरना न सिर्फ जेडीयू के लिए चुनौती बन गया है, बल्कि बिहार की सियासी फिज़ा में ‘टिकट के लिए धरना राजनीति’ का नया अध्याय जोड़ गया है। फिलहाल निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या नीतीश कुमार अपने इस नाराज़ ‘कद्दावर’ विधायक को मनाने के लिए बाहर आएंगे या धरना आगे और लंबा चलेगा।