डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दलों) को एक बड़ा झटका लगा है। झारखंड में सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने गठबंधन से अलग होने का ऐलान करते हुए साफ कर दिया है कि वह बिहार की छह सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। यह निर्णय महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान के बीच सामने आया है।
JMM लड़ेगा छह सीटों पर अकेले
JMM के महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि पार्टी ने बिहार चुनाव में अकेले उतरने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हम बिहार विधानसभा चुनाव अपने बलबूते पर लड़ेंगे। पार्टी ने छह सीटों — चकाई, धमदाहा, कटोरिया (एसटी), मनिहारी (एसटी), जमुई और पीरपैंती पर अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है।” सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि पार्टी ने 20 स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी है, जिसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सबसे प्रमुख चेहरे होंगे।
सीट बंटवारे पर नहीं बनी सहमति
JMM नेताओं के अनुसार, पार्टी ने महागठबंधन में सम्मानजनक सीटों की मांग की थी, लेकिन किसी भी दल ने उनकी बात पर गंभीरता नहीं दिखाई। भट्टाचार्य ने कहा कि “हमने कई दौर की बातचीत में यह स्पष्ट किया था कि JMM को भी गठबंधन में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, लेकिन हमारे प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी।” उन्होंने याद दिलाया कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में जब RJD उनके सहयोगी दल के रूप में चुनाव लड़ी थी, तब JMM ने सात सीटें देकर उन्हें सम्मानजनक हिस्सेदारी दी थी। “अब जब हमारी बारी आई, तो हमें नजरअंदाज किया गया। इसलिए पार्टी ने सम्मानजनक रास्ता चुनते हुए स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला लिया,” उन्होंने कहा।
महागठबंधन में मची हलचल
JMM के इस फैसले से पहले ही RJD और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर मतभेद गहराए हुए थे। अब JMM के अलग होने से महागठबंधन की एकता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि JMM का यह कदम न सिर्फ महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगाएगा, बल्कि झारखंड सीमा से सटे इलाकों में समीकरण पूरी तरह बदल सकता है।
6 और 11 नवंबर को होंगे चुनाव
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होंगे, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। ऐसे में चुनाव से पहले JMM का अलग होना विपक्षी गठबंधन के लिए एक राजनीतिक झटका माना जा रहा है।