शिव शंकर सविता- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर HAM (हिन्दुस्थान अवाम मोर्चा) पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने सीटों के मसले पर अहम बयान दिया है। 2020 के चुनाव में मांझी की पार्टी ने टेकारी, सिकंदरा, इमामगंज और बाराचट्टी सीटों पर जीत हासिल की थी और अब कहा जा रहा है कि HAM पार्टी को फिर से ये चार सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा 2020 में हार की बाजी जीतने वाली कुटुंबा, मखदुमपुर और कसबा सीटें भी अब HAM के खाते में जाने की संभावना है।
पुरानी सभी 7 सीटों की मांग की
सूत्रों के मुताबिक, मांझी ने कुल 7 सीटों की मांग की है, जिसमें पुराने जीत और हार की सीटें शामिल हैं। इसके साथ ही उन्होंने गया जिले की दो और सीटें अतरी और शेरघाटी की भी मांग की है। हालांकि बताया जा रहा है कि इनमें से केवल एक सीट ही मांझी की पार्टी को दी जा सकती है। सीट शेयरिंग को लेकर चल रही अटकलों पर जीतन राम मांझी ने स्पष्ट किया कि एनडीए के भीतर किसी तरह की तनातनी नहीं है। उन्होंने कहा, “सीट को लेकर कोई झगड़ा नहीं है। हमारी कोशिश इतनी सीट पाने की है जिससे पार्टी को विधानसभा में मान्यता मिल सके। चुनाव लड़ें या न लड़ें, हम हमेशा पार्टी के साथ रहेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि HAM पार्टी एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी और सभी मामलों में गठबंधन के साथ सहयोग जारी रहेगा।
मुख्य उद्देश्य पार्टी को विधानसभा में मान्यता दिलाना- जीतन राम मांझी
इस मौके पर मांझी ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर जनता को संदेश दिया कि उनका मुख्य उद्देश्य पार्टी को विधानसभा में मान्यता दिलाना और स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करना है। उन्होंने लिखा कि पार्टी का मुख्य फोकस स्थानीय मुद्दों और विकास कार्यों पर रहेगा और जनता को HAM पार्टी के एजेंडे से जोड़ा जाएगा। राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि मांझी का यह कदम राजनीतिक रणनीति के तौर पर महत्वपूर्ण है। सीटों के स्पष्ट संकेत और पार्टी की मांगों का सार्वजनिक रूप से कहना, HAM को निर्णायक स्थिति में रखता है। इससे चुनावी तालमेल में स्पष्टता आएगी और गठबंधन के भीतर किसी प्रकार की गलतफहमी भी दूर होगी।
4 सीटों को जीतकर पार्टी की अहमियत का किया था बखान
गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में HAM ने चार सीटें जीतकर अपने राजनीतिक महत्व को साबित किया था। अब आगामी चुनाव में मांझी की मांगों के अनुसार 7-8 सीटें मिलने की संभावना से पार्टी को गठबंधन में और मजबूती मिल सकती है। इस बार मांझी की कोशिश यही रहेगी कि HAM को बिहार विधानसभा में सशक्त और मान्यता प्राप्त दल के रूप में देखा जाए।