KNEWS DESK- संसद का शीतकालीन सत्र आज, यानी 25 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। यह सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा और इसमें सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की कोशिश करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सत्र के पहले दिन संसद भवन परिसर में हंस द्वार के समीप विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी देंगे। इसके अलावा, इस सत्र में संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ का भी आयोजन किया जाएगा, जो 26 नवंबर को संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में होगा।
संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष कार्यक्रम
26 नवंबर को संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में आयोजित होगा, जो अब संसद के पुराने भवन का नाम है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय के मुताबिक, यह आयोजन संविधान दिवस के महत्व को समर्पित होगा और इसमें कई अहम राजनैतिक एवं ऐतिहासिक पहलुओं पर विचार विमर्श किया जाएगा।
सत्र के दौरान चर्चा के लिए पेश होंगे कई अहम विधेयक
इस शीतकालीन सत्र में संसद में कुल 16 विधेयकों पर चर्चा होने की संभावना है, जिनमें से आठ विधेयक लोकसभा में और दो राज्यसभा में लंबित हैं। इनमें से कुछ विधेयक पहले से ही संसद में पेश हो चुके थे, जिनमें से कुछ पर चर्चा और पारित नहीं हो पाई थी। इनमें बैंकिंग नियम (संशोधन) विधेयक और रेलवे (संशोधन) विधेयक शामिल हैं, जिन्हें पहले लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन वे पारित नहीं हो पाए थे। इसके अलावा, राज्यसभा में भारतीय वायुयान विधेयक पर चर्चा हो सकती है, जिसे मानसून सत्र में लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है।
संसद सत्र पर महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों का प्रभाव
महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों के परिणामों का भी संसद सत्र पर असर पड़ने की संभावना है। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले गठबंधन को भारी जीत मिली है, जबकि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले गठबंधन को बहुमत मिला है। इन नतीजों के बाद, सरकार अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सत्र में आवश्यक विधेयकों को पारित करने की पूरी कोशिश करेगी।
सत्र के दौरान हंगामे की संभावना
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा कई विधेयकों पर ऐतराज जताए जाने की संभावना है, जिसके कारण संसद सत्र हंगामेदार रह सकता है। विपक्षी दलों का कहना है कि कुछ विधेयकों में गंभीर खामियां हैं, और उनके पारित होने से आम जनता को नुकसान हो सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन मुद्दों को कैसे संभालती है और सत्र की प्रगति पर इसका क्या असर पड़ता है।
इस शीतकालीन सत्र में सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, क्योंकि उसे न केवल विधायिका के विभिन्न पहलुओं को पारित कराने का दबाव है, बल्कि विपक्षी दलों के विरोध और हालिया चुनावी परिणामों से उत्पन्न राजनीतिक परिस्थिति का भी सामना करना पड़ेगा।
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