चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुव पर क्यों उतारा गया, ISRO चीफ ने बताई वजह

KNEWS DESK- चंद्रयान-3 की चांद पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम व रोवर प्रज्ञान मिशन में जुट गए हैं। प्रज्ञान चांद की यात्रा कर रहा और डेटा इकट्ठा करके लैंडर विक्रम को भेजेगा। ये सारी जानकारियां ISRO के वैज्ञानिकों को भेजी जाएंगी। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग करवा कर ISRO ने इतिहास रच दिया है। यहां पर काफी गहरे गड्ढे हैं। इस वजह से लैंडिंग और भी मुश्किल थी।

आपको बता दें कि  20 अगस्त को रूस का मिशन लूना-25 दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग से पहले ही क्रैश कर गया था। ऐसे में भारत और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। रिपोर्ट के मुताबिक ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 के सारे उपकरणों को चांद के दक्षिणी ध्रुव या उसके नजदीक उतारने के लिए ही तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि दक्षिणी ध्रुव पर वैज्ञानिक रूप से काफी संभावनाएं हैं। यहां पर पानी व खनिजों की मौजूदगी की काफी उम्मीद है। एस. सोमनाथ ने बताया कि इन सबके अलावा और भी कई प्रक्रियाएं शामिल हैं। जिसके लिए निर्धारित 5 उपकरण काम कर रहे हैं। चंद्रयान-3 के लिए चार सालों से चल रहे काम को लेकर एस. सोमनाथ ने बताया कि साल 2019 में चंद्रयान-2 की हार्ड लैंडिंग के कारण चांद के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी इसलिए पहला साल पिछले मिशन की गलतियों का पता लगाने में निकल गया था। अगले साल सभी प्रक्रियाओं को फिर से किया गया और आखिरी के 2 साल परीक्षण किए गया था। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी ने भी मिशन को प्रभावित किया और इसके बाद मिशन ट्रैक पर आया था।

6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान चांद का करेगा भ्रमण 

जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-3 के जरिए जो डेटा प्राप्त किया जाएगा। उससे चांद के बारे में जानकारियों का विस्तार होगा और लूना वॉटर आइस को लेकर भी जानकारी मिलेगी। आपको बता दें कि अगले 14 दिन 6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान चांद का भ्रमण करेगा और जानकारियां इकट्ठा करेगा।

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