KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश भाजपा को कल नया प्रदेश अध्यक्ष मिल मिलने जा रहा है। शनिवार को इस पद के लिए भाजपा मुख्यालय में नामांकन की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई, जिनमें उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने प्रस्तावक की भूमिका निभाते हुए पंकज चौधरी का सफलतापूर्वक नामांकन दाखिल कराया, जिसके बाद केंद्रीय मंत्री और सात बार के सांसद पंकज चौधरी भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष तय माने जा रहे हैं। आइये विस्तार से जानते हैं पंकज चौधरी के बारे में….
कौन हैं पंकज चौधरी?
पंकज चौधरी इस समय केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वह महाराजगंज लोकसभा सीट से सात बार सांसद चुने जा चुके हैं और बीजेपी के सबसे मजबूत कुर्मी नेताओं में गिने जाते हैं। उनका राजनीतिक सफर 1989 में गोरखपुर नगर निगम के पार्षद चुनाव से शुरू हुआ था। इसके बाद संगठन और चुनावी राजनीति में उन्होंने कई अहम भूमिकाएं निभाईं।
उनकी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि करीब दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उनके घर पहुंचे थे, जिसकी तस्वीरें उस समय सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थीं। पार्टी के भीतर उनकी पहचान एक साफ-सुथरी और भरोसेमंद छवि वाले नेता के रूप में मानी जाती है।
निजी जीवन और संपत्ति
पंकज चौधरी का जन्म 20 नवंबर 1964 को गोरखपुर में हुआ था। वह कुर्मी समुदाय से आते हैं, जिसका पूर्वी उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव माना जाता है। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद दिए गए हलफनामे के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति करीब 41.5 करोड़ रुपये बताई गई थी, जिसमें कृषि भूमि के साथ-साथ आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियां शामिल हैं।
उनका परिवार भी राजनीति और सामाजिक जीवन से जुड़ा रहा है। उनके पिता स्वर्गीय भगवती प्रसाद चौधरी बड़े जमींदार थे, जबकि उनकी मां उज्ज्वला चौधरी महाराजगंज जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उनकी पत्नी भाग्यश्री चौधरी सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। उनके एक बेटा और एक बेटी हैं, जो फिलहाल राजनीति से दूर हैं।
कुर्मी समीकरण और भाजपा की रणनीति
भाजपा पंकज चौधरी को आगे बढ़ाकर कुर्मी समुदाय में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है। इस समुदाय को पारंपरिक रूप से कृषक समाज माना जाता है और उत्तर प्रदेश की राजनीति में इसका असर खासा रहा है। 1990 के दशक में ओबीसी आंदोलन के बाद कुर्मी समाज राजनीतिक रूप से और सक्रिय हुआ। एक समय यह समुदाय कांग्रेस और बसपा के बीच स्विंग वोटर माना जाता था, लेकिन 2014 के बाद मोदी लहर में इसका बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ जुड़ गया।
अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 6 से 10 प्रतिशत तक कुर्मी वोटर हैं और 40 से 50 विधानसभा सीटों पर उनकी भूमिका निर्णायक मानी जाती है। यही वजह है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में पंकज चौधरी का नाम सामने आना राजनीतिक तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है।