KNEWS DESK- कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस में पिछले कई हफ्तों से चल रही अंदरूनी खींचतान अब थमती दिख रही है। शीर्ष नेतृत्व के निर्देश के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार लगातार दूसरी बार नाश्ते की मेज पर आमने-सामने आए। मंगलवार को सीएम सिद्धारमैया स्वयं शिवकुमार के सदाशिवनगर स्थित आवास पहुंचे, जहां उपमुख्यमंत्री और उनके भाई डीके सुरेश ने उनका स्वागत किया।
मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट संदेश दिया कि उनके बीच किसी तरह का विवाद नहीं है। सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि हमने साथ नाश्ता किया, पार्टी के मुद्दों और 8 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र की रणनीति पर चर्चा की। हम एक हैं, भाई हैं और मिलकर काम कर रहे हैं।
पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि “डीके शिवकुमार कब मुख्यमंत्री बनेंगे?”, तो सिद्धारमैया ने साफ कहा कि “जब पार्टी आलाकमान कहेगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि आलाकमान बुलाएगा तो वे तुरंत मिलने जाएंगे। दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से संकेत मिलने के बाद दोनों नेताओं को निर्देश दिया गया था कि वे आपसी मतभेद भूलकर मिल-बैठकर मौजूदा राजनीतिक संकट को खत्म करें। इसके बाद चार दिनों में यह दूसरी मुलाकात रही। पहली मुलाकात शनिवार को सीएम आवास कावेरी में हुई थी।
दोनों नेताओं ने तब भी एकजुटता का संदेश दिया था और कहा था कि वे नेतृत्व परिवर्तन जैसे सवालों पर आलाकमान के निर्णय का पालन करेंगे।
नाश्ते के दूसरे राउंड से पहले सोमवार को डीके शिवकुमार ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि “मैं और मुख्यमंत्री एक टीम की तरह काम कर रहे हैं। उन्हें नाश्ते पर बुलाया है ताकि कर्नाटक में किए गए वादों को पूरा करने पर साथ बैठकर चर्चा कर सकें।”
उन्होंने किसी भी मतभेद या विवाद को खारिज करते हुए कहा कि वे दोनों भाईयों की तरह हैं और राज्य के विकास के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
कर्नाटक की राजनीति में चल रहे ‘ढाई-ढाई साल के समझौते’ की चर्चा के बीच यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। फिलहाल संकेत यही हैं कि कांग्रेस आलाकमान अभी सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने देना चाहता है, कम से कम आगामी विधानसभा सत्र तक।
नाश्ते पर हुई लगातार दो मुलाकातों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस में एकजुटता का संदेश भेजा है—लेकिन क्या यह लंबे समय तक टिकेगा, यह आने वाली राजनीति तय करेगी।