KNEWS DESK – पश्चिम बंगाल में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। तृणमूल कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग पर सवाल खड़े कर रही है। इसी कड़ी में टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस प्रक्रिया को “परिवार का उत्पीड़न” करार दिया है।
काकोली घोष दस्तीदार ने शनिवार को दावा किया कि SIR प्रक्रिया के तहत उनके परिवार के सदस्यों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके दो बेटों, 90 वर्षीय मां और छोटी बहन को ‘अनमैप्ड’ श्रेणी में डालकर सुनवाई के लिए बुलाया गया है, जो पूरी तरह गलत और हैरान करने वाला है। सांसद ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि और उसके परिवार को इस तरह परेशान करना निंदनीय है और आम मतदाताओं के साथ भी यही रवैया अपनाया जा रहा है।
सांसद के मुताबिक, उनकी मां और छोटी बहन उत्तर 24 परगना जिले के मध्यग्राम इलाके में लंबे समय से पंजीकृत मतदाता हैं, जबकि उनके दोनों बेटों का पता दक्षिण कोलकाता का है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब उनके बेटों के पिता राज्य के पूर्व मंत्री रहे हैं और वह खुद कई बार सांसद चुनी जा चुकी हैं, तो फिर उनके नाम मतदाता सूची में ‘अनमैप्ड’ कैसे हो सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि वर्षों से वोट डाल रही 90 साल की बुजुर्ग महिला का नाम अचानक मसौदा सूची से कैसे हटाया जा सकता है।
चुनाव आयोग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि ‘अनमैप्ड’ मतदाता वे होते हैं, जिनका विवरण 2002 की मतदाता सूची के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता। आयोग ने यह भी कहा है कि 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के मतदाताओं को सुनवाई केंद्र पर बुलाने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि अधिकारी खुद उनके घर जाकर प्रक्रिया पूरी करेंगे।
इस बीच, निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राज्यभर में 3,234 केंद्रों पर SIR प्रक्रिया जारी है, जहां सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं। पहले चरण में करीब 32 लाख अनमैप्ड मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया गया है। आयोग का कहना है कि जिन लोगों को किसी तरह की दिक्कत आ रही है, उनकी समस्याओं का समाधान मौके पर ही किया जा रहा है।