पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन पर देश में शोक की लहर, केंद्र सरकार ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया

KNEWS DESK – पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में गुरुवार रात निधन हो गया। उनका निधन देशभर में शोक की लहर लेकर आया है। डॉ. सिंह 92 वर्ष के थे, और उनके निधन के बाद केंद्र सरकार ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं, और शुक्रवार को सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

एम्स में इलाज के दौरान निधन

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री को रात करीब साढ़े आठ बजे एम्स के इमरजेंसी वार्ड में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के बुलेटिन में बताया गया कि डॉ. सिंह घर पर अचानक बेहोश हो गए थे, और उन्हें तुरंत होश में लाने के प्रयास किए गए। बाद में उन्हें एम्स लाया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उन्हें होश में नहीं ला सके और रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

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देश की राजनीति में अनमोल योगदान

मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया था। वे भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में 2004 से 2014 तक दस वर्षों तक देश का नेतृत्व कर चुके थे। उनकी सरकार के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए गए थे, जिनमें आर्थिक उदारीकरण, विदेशी निवेश में वृद्धि, और वित्तीय क्षेत्र में सुधार जैसे कदम शामिल थे। उनकी नीतियों और नेतृत्व की शैली को दुनियाभर में सम्मान मिला था।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद जीवन के अंतिम दिनों तक सक्रिय

हालांकि, पिछले कुछ महीनों से डॉ. सिंह का स्वास्थ्य खराब था, फिर भी वे राजनीति में सक्रिय रहे थे। उनके निधन से पहले कांग्रेस पार्टी के उच्च नेता कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में शामिल हो रहे थे, जिसमें पार्टी के सभी शीर्ष नेता उपस्थित थे। इस दुखद घटना के बाद कांग्रेस ने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं, और पार्टी के प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने बेलगावी से दिल्ली की ओर प्रस्थान किया।

अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ

डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार में उनकी पत्नी गुरचरण कौर और तीन बेटियां शामिल हैं। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके निधन से भारत ने एक ऐसे नेता को खो दिया है, जिन्होंने न केवल देश की राजनीति को आकार दिया, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर एक नई दिशा भी दी।

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