बेटे की चाहत में पति ने हसिये से फाड़ा पत्नी का पेट, गर्भस्थ शिशु की हुई मौत, अदालत ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

रिपोर्ट – रीतेश चौहान

उत्तर प्रदेश – जनपद बदायूं से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जिसमें गर्भ में लड़का है या लड़की, देखने के लिए  पति ने अपनी ही पत्नी का पेट फाड़ दिया | इस घटना में आठ माह के गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई थी, अपनी पत्नी का हसिए से पेट फाड़ने वाले इस पति को न्यायालय ने तीन साल बाद आजीवन कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है |

दोषी पति को अदालत ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

आपको बता दें कि बदायूं में आठ महीने की गर्भवती पत्नी का पेट हंसिये से चीरने के दोषी पति को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। घटना 19 सितंबर 2020 की है| घटना वाले दिन अनीता अपने घर पर थी, इसी दौरान उसका पति पन्नालाल नशे की हालत में घर पहुंचा और उससे झगड़ा करने लगा कि उसने अब तक पांच बेटियों को जन्म दिया है और गर्भ में पल रहा छटवां बच्चा बेटा है बेटी यह उसे पेट फाड़कर देखना है |

पन्नालाल आए दिन बहन के साथ करता था मारपीट

इसके साथ ही आपको बता दें अनीता की शादी 22 साल पहले नेकपुर निवासी पन्नालाल के साथ हुई थी, दंपती के पांच लड़कियां पैदा हुईं, बेटा न होने को लेकर पन्नालाल आए दिन बहन के साथ मारपीट करता था | बहन अनीता और उनकी बेटियों ने विरोध किया लेकिन पन्नालाल नहीं माना और उसने हंसिये से अनीता का पेट चीर दिया। सूचना पर पहुंचे परिजनों ने गंभीर हालत में उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, वहां से बरेली के लिए रेफर कर दिया गया | यहां डॉक्टर ने अनीता की तो जान बचा ली, लेकिन गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई |

19 सितंबर 2020 को तहरीर देकर बहनोई के खिलाफ दर्ज कराई थी रिपोर्ट

विशेष न्यायालय (त्वरित) महिला अपराध के न्यायाधीश सौरभ सक्सेना ने चार साल पुराने मामले में दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, थाना सिविल लाइंस क्षेत्र के गांव घोंचा निवासी गोलू ने 19 सितंबर 2020 को तहरीर देकर अपने बहनोई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसके बाद तेजी से जांच शुरू हो कि गई |

साक्ष्य संकलन करने के बाद आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल

पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर धारा 307 और 313 के तहत विवेचना शुरू की, विवेचक ने हंसिया बरामद करने के साथ ही पन्नालाल को जेल भेज दिया | विवेचक ने साक्ष्य संकलन करने के बाद आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल किया, न्यायाधीश ने बृहस्पतिवार को पत्रावली का अवलोकन किया, एडीजीसी मुनेंद्र प्रताप सिंह व बचाव पक्ष के अधिवक्ता की बहस सुनने के बाद  आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई |

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