KNEWS DESK – चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इन दोनों राज्यों में चुनाव की तैयारी जोरों पर है, और आयोग ने सभी आवश्यक तिथियों और चुनाव प्रक्रियाओं को स्पष्ट कर दिया है। इस बार का चुनाव खास रहेगा क्योंकि जम्मू कश्मीर में नए परिसीमन के बाद सीटों की संख्या में वृद्धि की गई है, जो चुनाव को और भी दिलचस्प बना रहा है।
जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में वोटिंग
जम्मू कश्मीर में इस बार विधानसभा की कुल 90 सीटों पर चुनाव होंगे, जिनमें जम्मू रीजन में 43 और कश्मीर रीजन में 47 सीटें होंगी। चुनाव तीन चरणों में होंगे:
- पहला चरण: 18 सितंबर 2024
- दूसरा चरण: 25 सितंबर 2024
- तीसरा चरण: 1 अक्टूबर 2024
जम्मू कश्मीर में इस बार के चुनाव में 87.09 लाख मतदाता हिस्सा लेंगे, जिसमें से 20 लाख से अधिक युवा मतदाता होंगे। आयोग ने बताया कि 20 अगस्त 2024 को जम्मू कश्मीर की नई वोटर लिस्ट जारी की जाएगी।
महत्वपूर्ण तिथियां
- पहले चरण के लिए नोमिनेशन की अंतिम तारीख: 27 अगस्त 2024
- नोमिनेशन की स्क्रूटनी: 28 अगस्त 2024
- नाम वापसी की अंतिम तारीख: 30 अगस्त 2024
दूसरे और तीसरे चरण के लिए भी तिथियों की घोषणा की गई है।
- दूसरे चरण के लिए नोमिनेशन की अंतिम तारीख: 5 सितंबर 2024
- स्क्रूटनी की अंतिम तारीख: 6 सितंबर 2024
- नाम वापसी की अंतिम तारीख: 9 सितंबर 2024
हरियाणा में एक चरण में होगा चुनाव
हरियाणा की 90 सीटों पर एक ही चरण में 1 अक्टूबर 2024 को चुनाव होंगे। हरियाणा में चुनाव एक ही दिन में होने के कारण वहां की राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं।
चुनाव परिणाम
दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम 4 अक्टूबर 2024 को जारी किए जाएंगे। चुनाव आयोग ने इस बार सभी आवश्यक तैयारियां कर ली हैं ताकि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
जम्मू कश्मीर में नए परिसीमन का प्रभाव
जम्मू कश्मीर में सीटों की संख्या बढ़ने के कारण कई क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। जम्मू रीजन में सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा, और उधमपुर में एक-एक सीट बढ़ाई गई है, जबकि कश्मीर रीजन में कुपवाड़ा में एक सीट बढ़ाई गई है। इससे इन क्षेत्रों में चुनावी मुकाबला और भी कड़ा हो गया है।
युवा मतदाताओं की भूमिका
जम्मू कश्मीर में 20 लाख से अधिक युवा मतदाताओं की संख्या चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। युवा मतदाताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों में बदलाव कर सकते हैं और युवाओं के मुद्दों को प्राथमिकता दे सकते हैं।