KNEWS DESK – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज भगवान विश्वकर्मा की जयंती के शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में पूर्ण विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों और विशेषकर श्रमवीरों को बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री निवास में आयोजित इस पूजा में विधायक अनुज शर्मा, मुख्यमंत्री निवास के अधिकारीगण, और कर्मचारी भी उपस्थित थे।
भगवान विश्वकर्मा, जिन्हें संसार के प्रथम वास्तुकार और निर्माण एवं सृजन के देवता के रूप में पूजा जाता है, के सम्मान में यह पूजा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा ने श्रम और सृजन के महत्व को समाज में स्थापित किया है। उन्होंने श्रम से सृजन की महानता को प्रेरणादायी बताया और कहा कि यह दिन हमें श्रम के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा देता है।
श्रम का महत्व
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “हमारे श्रमवीर छत्तीसगढ़ को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। श्रम से ही किसी भी निर्माण और विकास की नींव रखी जाती है, और भगवान विश्वकर्मा ने इस महान कार्य को समाज में प्रतिष्ठित किया है।” उन्होंने आगे कहा कि भगवान विश्वकर्मा का तकनीकी कौशल और श्रमशीलता हमें जीवन में निरंतर आगे बढ़ने और अपने कौशल को बेहतर बनाने की प्रेरणा देती है।
विकास और सृजन में श्रमवीरों की भागीदारी
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के श्रमवीरों की सराहना करते हुए कहा कि वे राज्य के विकास और सृजन में सार्थक भागीदारी निभा रहे हैं। श्रमिकों के योगदान के बिना किसी भी समाज या राज्य का समुचित विकास संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने श्रम की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि विश्वकर्मा जयंती पर श्रम के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता का संकल्प लेना चाहिए।
राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री साय ने राज्य के श्रमवीरों और तकनीकी विशेषज्ञों से अपील की कि वे राज्य के विकास में अपनी भागीदारी को और मजबूत करें। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों के सहयोग की आवश्यकता है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके समस्त राज्यवासियों की खुशहाली, विकास और समृद्धि की कामना की और भगवान से प्रदेश के श्रमवीरों को शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करने का आशीर्वाद मांगा।
विश्वकर्मा जयंती का संदेश भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर यह पूजा न केवल श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, बल्कि श्रम के महत्व को भी दर्शाती है। इस पावन अवसर पर श्रम का सम्मान और उसकी महत्ता को समझना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।