KNEWS DESK- दिवाली वाले दिन यानि बीते 12 अक्टूबर को उत्तरकाशी टनल हादसा हुआ जिसमें 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हुए हैं। उत्तरकाशी के सिलक्यारा में बन रही सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और हर घंटे इन मजदूरों तक खाना भी पहुंचाया जा रहा है। आपको बता दें कि श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए विभिन्न एजेंसियों का काम बुधवार को अंतिम चरण में पहुंच गया। इसके मद्देनजर एम्बुलेंस को तैयार रखा गया है और चिकित्सकों को घटनास्थल पर बुला लिया गया है।
मलबे के बीच से स्टील पाइप की ड्रिलिंग में उस समय बाधा आई जब लोहे की कुछ छड़ें ऑगर मशीन के रास्ते में आ गईं। हालांकि, अधिकारियों को उम्मीद है कि बचाव अभियान बृहस्पतिवार सुबह तक पूरा हो जाएगा। रेस्क्यू ऑपरेशन टीम के सदस्यों में से एक गिरीश सिंह रावत ने कहा कि ”रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग आखिरी चरण में है। उम्मीद है 1-2 घंटे में नतीजे आ जाएंगे। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पाइपलाइन डाली जा रही है। मलबे में फंसे स्टील के टुकड़ों को काटकर हटा दिया गया।
अधिकारियों ने कहा था कि अमेरिका निर्मित ऑगर मशीन को उन श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 57 मीटर के मलबे के माध्यम से ड्रिल करना पड़ा, जो 10 दिन पहले निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से फंस गए थे. इस हिसाब से, केवल 13 मीटर मलबा खोदा जाना बाकी था।
आसपास ड्रिलिंग फिर से हुई शुरू
एक अधिकारी ने कहा कि किसी भी स्थिति में अभियान बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे तक समाप्त हो सकता है।
ऑगर मशीन के शुक्रवार दोपहर को किसी कठोर सतह से टकराने के बाद उससे ड्रिलिंग रोक दी गयी थी। ड्रिलिंग रोके जाने तक मलबे को 22 मीटर तक भेद कर उसके अंदर छह मीटर लंबे 900 मिलीमीटर व्यास के चार पाइप डाले जा चुके थे। मंगलवार आधी रात के आसपास ड्रिलिंग फिर से शुरू हुई।
पाइप डाल दिये जाने के बाद श्रमिक इसके माध्यम से बाहर निकल सकते हैं। यह पाइप एक मीटर से थोड़ा कम चौड़ा है। एक बार जब पाइप के दूसरे छोर तक पहुंच जाने पर फंसे हुए श्रमिकों के रेंग कर बाहर निकलने की संभावना है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम को शाम को सुरंग में प्रवेश करते देखा गया। निकासी की उम्मीद में विशेषज्ञों सहित 15 डॉक्टरों की एक टीम को साइट पर तैनात किया गया है। घटनास्थल पर बारह एम्बुलेंस को तैयार रखा गया है और बेड़े में 40 एम्बुलेंस को तैयार रखने की योजना थी।