उत्तराखंड- उत्तराखंड की धामी सरकार राज्य में हुई इंवेस्टर्स समिट के निवेश प्रस्ताव को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने की कोशिशों मे लग गई है। इसी कड़ी में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को निवेश प्रस्ताव के कॉमन एप्लीकेशन फार्म पर 10 दिन के भीतर निर्णय लेने के निर्देश दिए है। मुख्य सचिव ने राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में यह निर्देश दिए है। मुख्य सचिव ने बैठक के दौरान कहा कि सभी डीएम नए निवेश प्रस्तावों के दूसरे स्तर के अनुमोदन पर भी हर हाल में 30 दिन के भीतर निर्णय लें। उन्होंने कहा कि इस डेडलाइन को अल्टीमेटम समझा जाए। इस दौरान मुख्य सचिव ने निवेशकों की शिकायतों का तत्कालन निस्तारण ना करने पर नाराजगी व्यक्त की है। बता दे कि पिछले साल सीएम धामी ने देहरादून में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया था।
मुख्यमंत्री का दावा है कि इस समिट में साढ़े तीन लाख करोड़ के एमओयू साईन हुए हैं। जबकि 44 हजार करोड़ से ज्यादा की ग्राउंडिंग धरातल पर उतारी जा रही है। वहीं एक तरफ जहां सरकार इस इंवेस्टर्स समिट के जरिए राज्य में निजी निवेश को लाने की तैयारियों मे लगी हुई है। तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में ओएनजीसी के देहरादून स्थित मुख्यालय को शिफ्ट करने की चर्चाएं एक बार फिर शुरू हो गई हैं। दअरसल, ओएनजीसी स्टाफ यूनियन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है, पत्र के जरिए ओएनजीसी मुख्यालय से विभागों और अनुभागों को शिफ्ट करने की कवायद पर रोक लगाने की मांग की गई है। यूनियन को आशंका है कि जिस तरह से एक-एक कर प्रमुख विभागों को नई दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा है, वह देर-सबेर मुख्यालय की भी पूरी तरह से शिफ्टिंग कर सकते हैं। वहीं विपक्ष ने इस इस मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। विपक्ष का कहना है कि सरकार एक तरफ समिट करा रही है लेकिन दूसरी तरफ नवरत्न कंपनी को शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है। ये चिंता की बात है। सवाल ये है कि उत्तराखंड के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली ओएनजीसी को क्या शिफ्ट करने की तैयारी है।
कुल मिलाकर एक तरफ जहां धामी सरकार इंवेस्टर्स समिट के जरिए निवेश प्रस्ताव को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने की कोशिशों मे लगी हुई है तो वही दूसरी ओर प्रदेश में ओएनजीसी के मुख्यालय की शिफ्टिंग पर चर्चा शुरू हो गई है। सवाल ये है कि एक ओर जहां सरकार प्राईवेट इंवेस्टमेंट को बढ़ाने की बात कर रही है तो वहीं दूसरी ओर देश और प्रदेश की आर्थिकी में सबसे ज्यादा योगदान देने वाली नवरत्न ओएनजीसी की शिफ्टिंग की आशंका निश्चित ही चिंता बढ़ाती है। देखना होगा कि क्या राज्य सरकार ओएनजीसी के मुख्यालय को बचाने में कामयाब होगी या नहीं?
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