डिजिटल डेस्क- उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए लिव-इन रिलेशनशिप और पहचान से जुड़े नियमों को और अधिक आसान बना दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मंजूरी के बाद गृह विभाग ने समान नागरिक संहिता (चतुर्थ संशोधन) नियमावली 2025 को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इस फैसले के तहत अब UCC पोर्टल पर पंजीकरण के लिए केवल आधार कार्ड ही नहीं, बल्कि अन्य पहचान पत्र भी मान्य होंगे। नई अधिसूचना के मुताबिक अब UCC में पहचान प्रमाण के रूप में पासपोर्ट, वोटर आईडी, राशन कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज भी स्वीकार किए जाएंगे। पहले पंजीकरण के लिए आधार कार्ड अनिवार्य था, लेकिन अब सरकार ने यह शर्त हटा दी है। यही नहीं, जिन नियमों में ‘आधार’ शब्द का प्रयोग किया गया था, वहां अब ‘पहचान का प्रमाण’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह बदलाव नागरिकों की सुविधा और समावेशिता को ध्यान में रखकर किया गया है।
विवाह और उत्तराधिकार रजिस्ट्रेशन के नियमों में संशोधन
विवाह पंजीकरण और कानूनी उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में भी संशोधन किए गए हैं। अब उप-निबंधक को पंजीकरण करने वाले पक्षों से अतिरिक्त जानकारी मांगने के लिए पांच दिन का समय दिया गया है, जबकि तत्काल मामलों में यह समय सीमा घटाकर 24 घंटे कर दी गई है। सचिव गृह शैलेश बगौली ने बताया कि संशोधन को औपचारिक मंजूरी के लिए अगली कैबिनेट बैठक में भी रखा जाएगा।
लिव-इन रिलेशनशिप में सुरक्षा और समयसीमा पर नया प्रावधान
लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े नियमों में भी सरकार ने अहम बदलाव किए हैं। अब आवेदन प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर महानिबंधक द्वारा संक्षिप्त जांच कराई जाएगी। यदि आवेदन खारिज होता है, तो निबंधक को आदेश में यह स्पष्ट रूप से दर्ज करना होगा कि आवेदक 45 दिनों के भीतर अपील कर सकता है। पहले यह अवधि 30 दिन थी, जिसे बढ़ाकर अब 45 दिन कर दिया गया है। सरकार ने लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा उपायों को भी सशक्त बनाया है। अगर किसी महिला या व्यक्ति को रिश्ते में खतरा महसूस होता है, तो स्थानीय प्रशासन तत्काल कार्रवाई करेगा।