KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव के लिए एनडीए प्रत्याशियों के समर्थन में पांच दिन तक चुनावी सभाएं कीं, जिससे माहौल गरमा गया है। अब प्रचार का दौर खत्म हो चुका है और मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। 20 नवंबर, बुधवार को प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर मतदान होना है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी अयोध्या दौरा महत्वपूर्ण रहेगा।
अयोध्या में सीएम योगी की धार्मिक यात्रा और प्रशासनिक बैठकें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 20 नवंबर को अयोध्या में मौजूद रहेंगे। इस दौरान वे रामलला के दरबार में हाजिरी लगाएंगे और रामजन्मभूमि का दर्शन करेंगे। इसके बाद, वे हनुमानगढ़ी में हनुमानजी के दरबार में भी माथा टेकेंगे। मुख्यमंत्री का यह धार्मिक दौरा विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह दिन उपचुनाव के मतदान का दिन है।
अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री अयोध्या में स्थानीय विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे और कानून-व्यवस्था को लेकर भी बैठक करेंगे। अयोध्या के प्रशासन और पुलिस विभाग के अधिकारी सीएम योगी की यात्रा की तैयारी में जुटे हैं। मुख्यमंत्री का यह दौरा प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे इस दौरान कई अहम विषयों पर चर्चा करेंगे और योजनाओं की प्रगति का जायजा लेंगे।
कटेहरी में प्रचार थमने के बाद पोलिंग पार्टियों की तैयारी
कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के प्रचार का दौर सोमवार शाम पांच बजे समाप्त हो गया। इसके बाद मंगलवार को अकबरपुर हवाईपट्टी से 425 बूथों के लिए पोलिंग पार्टियां रवाना हो गईं। हवाईपट्टी पर पोलिंग पार्टियों की रवानी को लेकर सुबह से ही गतिविधियां तेज हो गई थीं। इस उपचुनाव में कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनका भाग्य 20 नवंबर को मतपेटियों में कैद हो जाएगा।
सीएम योगी का 13 दिन का प्रचार अभियान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के उपचुनाव, झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए 13 दिनों तक प्रचार किया। इस दौरान उन्होंने 37 जनसभाएं और दो रोड शो किए, जिनमें उन्होंने एनडीए प्रत्याशियों के समर्थन में कई भाषण दिए। यूपी उपचुनाव के लिए उन्होंने पांच दिन तक एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में सभाएं कीं और अपने समर्थकों से मतदान की अपील की।
नतीजे और आगे की राजनीतिक दिशा
अब 20 नवंबर के मतदान के बाद राजनीतिक पार्टियों की निगाहें परिणामों पर टिकी होंगी। उपचुनाव में किसी भी दल की जीत या हार न सिर्फ प्रदेश की राजनीति, बल्कि आने वाले लोकसभा चुनावों की दिशा भी तय कर सकती है।