KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक महकमे में बड़ा फेरबदल करते हुए 16 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए। इनमें छह जिलों के जिलाधिकारी भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा अयोध्या के जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह का तबादला, जिन्हें हटाकर निखिल टीकाराम फुंडे को नया डीएम नियुक्त किया गया है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और तेजी से चल रहे विकास कार्यों को देखते हुए यह तबादला असामान्य माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के चलते यह कार्रवाई की गई, जिसका सीधा संबंध एक संविदा कर्मी की रहस्यमयी मौत से जोड़ा जा रहा है।
7 अगस्त 2024 को अयोध्या के दर्शन नगर स्थित राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में संविदा लिपिक प्रभुनाथ मिश्रा ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहरीला पदार्थ खा लिया था। गंभीर हालत में उन्हें लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
परिजनों ने तत्कालीन प्राचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दावा किया कि प्रभुनाथ को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। प्रारंभिक पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया, जिसके बाद अंगों के सैंपल (बिसरा) को संरक्षित कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया।
27 मार्च को सीडीएफडी, हैदराबाद की जो डीएनए रिपोर्ट जारी हुई, उसने पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया। रिपोर्ट के अनुसार, संरक्षित बिसरा सैंपल का डीएनए प्रभुनाथ के माता-पिता से मेल नहीं खा पाया। इसका मतलब था कि या तो सैंपल बदल दिए गए या साक्ष्य से जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है।
इस विसंगति के बाद प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए, जिसमें लापरवाही और साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की पुष्टि हुई। इसके बाद अयोध्या के डीएम चंद्र विजय सिंह को पद से हटा दिया गया।
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