KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा के आयोजन के मामले में छात्रों का विरोध थमता नजर नहीं आ रहा है। आयोग की ओर से कई बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद प्रतियोगी छात्रों का धरना प्रदर्शन जारी है। छात्रों का स्पष्ट कहना है कि जब तक आयोग आरओ-एआरओ परीक्षा को एक ही दिन में आयोजित करने का लिखित आश्वासन नहीं देता, उनका आंदोलन समाप्त नहीं होगा।
प्रदर्शनकारी छात्रों का मुख्य मांग है कि जैसे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा को एक ही शिफ्ट में आयोजित करने का निर्णय लिया है, उसी तरह आरओ-एआरओ परीक्षा को भी एक दिन, एक शिफ्ट में कराने का आदेश जारी किया जाए। छात्र आरओ-एआरओ परीक्षा के लिए गठित उच्च स्तरीय कमेटी का आश्वासन नहीं मान रहे हैं और वे लिखित रूप में इस बदलाव की घोषणा चाहते हैं।
आरओ-एआरओ परीक्षा में 10 लाख से अधिक पंजीकृत उम्मीदवार
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की आरओ-एआरओ परीक्षा में इस बार 10 लाख से अधिक उम्मीदवार पंजीकृत हैं। यह संख्या पीसीएस परीक्षा के मुकाबले कहीं अधिक है। आयोग ने छात्रों के साथ बैठक में इस परीक्षा के आयोजन को लेकर स्पष्ट किया कि पहले पर्याप्त परीक्षा केंद्रों की कमी के कारण परीक्षा को एक से अधिक दिनों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था।
अभी तक आयोग की तरफ से केवल यह आश्वासन दिया गया है कि आरओ-एआरओ परीक्षा के आयोजन पर एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की जाएगी, जो परीक्षा के आयोजन के संबंध में रिपोर्ट तैयार कर सुझाव देगी। लेकिन छात्रों का कहना है कि यह आश्वासन उनके लिए पर्याप्त नहीं है। वे चाहते हैं कि आयोग इस परीक्षा को एक ही दिन आयोजित करने का औपचारिक नोटिस जारी करे, जैसे कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा के लिए किया गया था।
कमेटी का गठन, लेकिन छात्र नहीं मान रहे
यूपीपीएससी के सचिव ने बताया कि आरओ-एआरओ परीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा, जो परीक्षा के आयोजन के बारे में रिपोर्ट देगी। हालांकि, छात्र आयोग की इस घोषणा से संतुष्ट नहीं हैं और उनका कहना है कि यह सिर्फ एक बहाना है, ताकि परीक्षा को दो या अधिक दिनों तक फैलाया जा सके। छात्र चाहते हैं कि आयोग पूरी तरह से यह सुनिश्चित करे कि परीक्षा एक दिन में हो, और इसके लिए जल्द से जल्द आधिकारिक नोटिस जारी करे।
पर्याप्त परीक्षा केंद्रों की कमी का कारण
उम्मीदवारों की संख्या को देखते हुए, परीक्षा केंद्रों की समस्या आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। आरओ-एआरओ परीक्षा में 10,76,004 उम्मीदवार पंजीकृत हैं, जबकि पीसीएस परीक्षा में 5,76,154 उम्मीदवार हैं। आयोग को परीक्षा केंद्रों के लिए राज्य के 75 जिलों में 1758 केंद्रों की आवश्यकता थी, लेकिन आयोग को केवल 55 प्रतिशत परीक्षा केंद्र ही मिल सके हैं।
आयोग ने शासनादेश के तहत यह सुनिश्चित किया है कि परीक्षा केंद्रों के स्थान पर कोई भी असंवेदनशील या गैर-मानक केंद्र नहीं बनाए जाएं। इसके बावजूद, परीक्षा केंद्रों की पर्याप्त संख्या में कमी के कारण आयोग को एक से अधिक दिनों तक परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लेना पड़ा। साथ ही, उच्चतम न्यायालय के सात जनवरी 2024 के आदेश के अनुसार, नॉर्मलाइजेशन (प्रसामान्यीकरण) की प्रक्रिया अपनाने का निर्णय लिया गया, जिसे अदालत ने उचित ठहराया है।
पीसीएस परीक्षा के लिए भी चुनौतियां
पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा के लिए आयोग को राज्य के विभिन्न जिलों में परीक्षा केंद्रों की आवश्यकता थी, लेकिन आयोग को केवल 978 केंद्र ही मिल सके। इससे यह स्पष्ट है कि आयोग को परीक्षा केंद्रों की उपलब्धता में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा। हालांकि, आयोग ने पीसीएस परीक्षा के लिए भी कड़ी मेहनत की है, लेकिन फिर भी यह समस्या जारी है, जो आरओ-एआरओ परीक्षा के आयोजन में और भी बढ़ गई है।
ये भी पढ़ें- कार्तिक पूर्णिमा का पर्व: गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम