दूध में मिलावट के मामले में यूपी सबसे आगे, FSSAI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

KNEWS DESK- दूध में मिलावट की समस्या पुरानी है, लेकिन हाल के वर्षों में यह समस्या और भी जटिल हो गई है। अब हम दूध में मिलावट के पुराने दौर से आगे बढ़कर नकली दूध के युग में प्रवेश कर चुके हैं। पहले दूध में पानी मिलाने का काम आम था, फिर यूरिया मिलाने की खबरें आईं, और अब कैमिकल से बने नकली दूध ने चिंता बढ़ा दी है।

मिलावट की उच्च दर

हाल ही में राज्यसभा में पेश की गई फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की रिपोर्ट ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, दूध और इससे बने उत्पादों के 50 प्रतिशत से अधिक सैंपल मिलावट के दोषी पाए गए हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दूध में मिलावट का धंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है, और कई राज्यों में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है।

दक्षिण के राज्यों की स्थिति

FSSAI के तीन वर्षों के आंकड़ों के मुताबिक, दूध में मिलावट के मामलों में उत्तर प्रदेश सबसे अव्‍वल है, जहां सबसे अधिक मिलावटी नमूने पकड़े गए हैं। इसके बाद राजस्थान, तमिलनाडु और केरल का नंबर आता है। इन राज्यों में दूध के अलावा दही, पनीर, मिठाई और बिस्किट में भी मिलावट की बातें सामने आई हैं।

उत्तर प्रदेश: 27,750 सैंपल में से 16,183 नमूने फेल।

राजस्थान: 18,264 सैंपल में से 3,564 नमूने फेल।

तमिलनाडु: 18,146 सैंपल में से 2,237 नमूने फेल।

केरल: 10,792 सैंपल में से 1,297 नमूने फेल।

मिलावटखोरी के केस

इन राज्यों में मिलावटखोरी के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। यूपी में मिलावटखोरी के 1,928 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि तमिलनाडु में 944, केरल में 737, और महाराष्ट्र में 191 मामले दर्ज किए गए हैं।

नकली दूध बनाने में उपयोग किए जाने वाले रसायन

रिपोर्ट के अनुसार, दूध में खतरनाक कैमिकल्स मिलाए जा रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। इनमें प्रमुख हैं:

यूरिया: दूध की सस्ते में मात्रा बढ़ाने के लिए।

कास्टिक सोडा और माल्ट्रोडेक्सट्रिन: दूध को नकली बनाने में।

हाइड्रोजन पैराक्साइड और फार्मालिन: दूध में फैट बढ़ाने के लिए।

अमोनिया और स्टार्च: खराब स्वाद को छुपाने और दूध की पहचान को कठिन बनाने के लिए।

इन कैमिकल्स के कारण दूध का स्वाद खराब हो जाता है, जिसे स्टार्च के माध्यम से छुपाया जाता है।

मिलावटी दूध की पहचान में कठिनाई

दूध में मिलावट की पहचान अब बिना मशीनों और लैब जांच के करना काफी कठिन हो गया है। इस वजह से उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

सरकार और उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी

इस बढ़ती समस्या को देखते हुए, सरकार को सख्त उपायों की आवश्यकता है ताकि मिलावटखोरी पर अंकुश लगाया जा सके और उपभोक्ताओं को सुरक्षित और शुद्ध दूध मिल सके। साथ ही, उपभोक्ताओं को भी इस बारे में जागरूक रहना चाहिए और दूध के शुद्धता की जांच के लिए वैध स्रोतों से ही दूध खरीदना चाहिए। इस संदर्भ में, उचित निगरानी और सख्त कानूनी कार्रवाई के जरिए मिलावटखोरी की समस्या पर काबू पाया जा सकता है, ताकि स्वस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।

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