शेख हसीना की मौत की सजा के बाद बांग्लादेश की बड़ी कार्रवाई, भारत को प्रत्यर्पण पत्र भेज शुरू की तीन मोर्चों पर तैयारी

डिजिटल डेस्क- बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पड़ोसी देश की राजनीति और कूटनीति में हलचल तेज हो गई है। फैसले के समय हसीना दिल्ली में मौजूद हैं, और इसी बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उनकी वापसी और प्रत्यर्पण के लिए तीन मोर्चों पर काम तेज कर दिया है। सबसे पहले, बांग्लादेश के कानूनी सलाहकार प्रोफेसर आसिफ नज़रुल ने घोषणा की कि वे भारत को एक बार फिर से औपचारिक पत्र भेजेंगे, जिसमें प्रत्यर्पण की मांग होगी। नज़रुल के बयान के कुछ ही मिनटों बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत सरकार को आधिकारिक लेटर भेजकर ICT के फैसले के आधार पर हसीना को वापस भेजने की मांग कर दी। नज़रुल ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अगर भारत “इस सामूहिक हत्यारे” को पनाह देता रहा, तो यह बांग्लादेश और उसके नागरिकों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कदम माना जाएगा। नज़रुल फिलहाल अंतरिम सरकार में कानून और न्याय मंत्रालय के शीर्ष सलाहकार हैं।

इंटरपोल के जरिए भी दबाव की तैयारी

बांग्लादेश सरकार शेख हसीना के खिलाफ इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस की प्रक्रिया भी शुरू कर सकती है। रेड कॉर्नर नोटिस किसी आरोपी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिरफ्तारी के लिए जारी किया जाता है और 194 देशों की पुलिस के बीच साझा किया जाता है। हालांकि, भारत में किसी भी विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी भारतीय संविधान और अदालतों के आदेश के अनुसार ही होगी। सिर्फ इंटरपोल के अनुरोध पर भारत किसी को तुरंत हिरासत में नहीं ले सकता। प्रत्यर्पण का अंतिम फैसला भारत सरकार और न्यायपालिका के हाथ में होगा।

बांग्लादेश के NSA का दिल्ली दौरा, उठा सकते हैं प्रत्यर्पण मुद्दा

स्थिति और संवेदनशील तब हो गई जब यह जानकारी सामने आई कि बांग्लादेश के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर खलीलुर रहमान अगले हफ्ते दिल्ली आने वाले हैं, जहां वे कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में हिस्सा लेंगे। इस दौरान उनकी मुलाकात भारतीय NSA अजीत डोभाल से भी होगी। माना जा रहा है कि रहमान इस हाई-लेवल मीटिंग में शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा प्रमुखता से उठा सकते हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच वर्तमान तनावपूर्ण हालात में यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। बाहरी रूप से यह दौरा क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग के एजेंडे पर केंद्रित होगा, लेकिन अंदरखाने हसीना की वापसी पर बड़ा कूटनीतिक दबाव बनाया जा सकता है।