UCC उत्तराखंड: UCC के अनुसार किसी भी धर्म के पुरुष एवं महिला को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं दी जाएगी

KNEWS DESK… देश में समान नागरिक संहिता को लेकर उत्तराखंड की धामी सरकार ने अपना खाका तैयार कर लिया है। खाका तैयार करने वाली समिति दो दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंप सकती है। इसकी पुष्टि सीएम धामी ने खुद की है।

मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में UCC को लेकर समिति के द्वारा कुछ अहम फैसले लिए जा सकते हैं। यहां लागू होने वाले इस नियम के तहत महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने पर फैसला लिया जा सकता है। इसके तहत यहां किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं को परिवार या माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा। इसके साथ ही बेटियों की शादी की उम्र 21 साल करने का भी फैसला लिया जा सकता है।

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भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार कोई भी मुसलमान पुरुष कुछ शर्तों के साथ चार शादियां कर सकता है। लेकिन उत्तराखंड में प्रस्तावित UCC के अनुसार किसी भी धर्म के पुरुष एवं महिला को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। वहीं दूसरी तरफ लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान पर भी विचार-विर्मश चल रहा है। कहा जा रहा है कि इनका भी शादी की तरह ही रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए। इन सबके साथ ही बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी पर भी एक अहम प्रस्ताव जारी किया जा रहा है। जिसमें कहा जा रहा है के बुजुर्गों की देखरेख जिम्मेदारी परिवार की बहू और दामाद की होगी। पुरुष को पैतृक संपत्ति के बटवारे की स्थिति में महिलाओं की तुलना में दोगुनी संपत्ति मिलती है। लेकिन UCC में महिलाओं के बराबर हक की बात कही गई है। जिसमें कहा गया है कि किसी भी धर्म से संबंध रखने वाली महिला को संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा। वह संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी। UCC में इन सबके साथ ही एक और बड़ा फैसला गोद ली जाने वाली संतानों के अधिकार को लेकर हो सकता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत दत्तक बच्चे को जैविक संतान के बराबर का अधिकार मिलता है। लेकिन और समुदायों के पर्सनल लॉ में बराबरी की बात नहीं की गई है। इसे देखते हुए UCC ने अपने अहम फैसले में गोद ली जाने वाली संतानों को भी अपने अधिकार का हक दिलाएगा।

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