उत्तराखंड में UCC लागू: लिव-इन रिलेशन टूटने पर गुजारा भत्ता, हलाला-बहुविवाह पर रोक, जानें क्या बदला?

KNEWS DESK-  उत्तराखंड ने सोमवार से एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दिया है। अब राज्य के सभी नागरिकों, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, या लिंग के हों, पर एक ही कानून लागू होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कानून के लागू होने को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह कदम समाज में समानता और एकरूपता लाने के लिए है।

मुख्यमंत्री ने यूसीसी पोर्टल का भी उद्घाटन किया और इसे राज्य के विकास और समृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उनका कहना था, “आज का दिन पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू की गई है। इससे राज्य की सभी महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त होंगे और समाज में समानता का एक नया अध्याय शुरू होगा।”

यूसीसी के मुख्य प्रावधान

समान नागरिक संहिता के तहत राज्य में अब सभी धर्मों के नागरिकों के लिए एक जैसा कानूनी ढांचा होगा। इसके प्रमुख प्रावधानों में बहुविवाह और हलाला जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगाना शामिल है। इसके अलावा, 2010 से हुई शादियों का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा और यूसीसी लागू होने के बाद होने वाली शादियों को 60 दिन के अंदर रजिस्टर करवाना होगा। यह कदम नागरिकों के बीच कानूनी और सामाजिक समानता को बढ़ावा देगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून के तहत तलाक का कानून सभी धर्मों के लिए एक जैसा होगा, जिससे न केवल महिलाओं को समान अधिकार मिलेगा, बल्कि परिवारों में कानूनी विवादों का हल भी पारदर्शी तरीके से होगा।

धामी ने इस अवसर पर कहा, “हमने 2022 के चुनाव में जो वादा किया था, उसे हमने पूरा किया। हलाला, बहुविवाह, बाल विवाह और तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी। यह कानून किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह समाज में समानता लाने का कानूनी प्रयास है। इसमें किसी प्रथा को बदलने की कोशिश नहीं की गई, बल्कि उन कुप्रथाओं को खत्म किया गया है जो समाज में असमानता और अत्याचार का कारण बनती थीं।”

समाज में समानता का एक कदम और

समान नागरिक संहिता के लागू होने से यह साफ संदेश मिलता है कि उत्तराखंड सरकार समाज में न्याय, समानता और एकता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कदम को लेकर कई सामाजिक संगठन और नागरिक समुदायों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है, जबकि कुछ वर्गों में इसे लेकर चिंता भी जताई जा रही है।

कुल मिलाकर, उत्तराखंड ने यूसीसी को लागू कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जो न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में समानता और कानूनी सुधार की दिशा में एक बड़ा उदाहरण बन सकता है।

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