ट्रंप की नई वीज़ा पॉलिसी का भारत में असर, H-1B फीस बढ़ने से घटा NRI दूल्हों का क्रेज, शादियों पर दिखने लगा असर

KNEWS DESK- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा आवेदन फीस में भारी बढ़ोतरी के फैसले का असर अब भारत की सामाजिक संरचना पर भी नजर आने लगा है। खासतौर पर उन परिवारों में चिंता की लहर है, जो अब तक अमेरिका में बसे भारतीय मूल के दूल्हों को अपनी बेटियों के लिए “ड्रीम मैच” मानते थे। लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में विदेशी कामगारों के लिए H-1B वीजा आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग ₹88 लाख) कर दिया है। यह फीस नए आवेदकों पर लागू होगी, रिन्यूअल वाले मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं।

H-1B वीजा अमेरिका की कंपनियों को टेक्नोलॉजी, हेल्थ, फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में विदेशी टैलेंट हायर करने की इजाजत देता है। भारत से सबसे ज्यादा पेशेवर इसी वीजा के तहत अमेरिका में काम करते हैं। FY24 में H-1B वीजा पाने वालों में 71% भारतीय थे।

भारत में एनआरआई दूल्हों की डिमांड हमेशा से ऊंची रही है, खासकर अमेरिका में बसे युवाओं की। लेकिन अब H-1B फीस बम ने इस सोच को झटका दिया है।

मैचमेकिंग सर्विस “Vows for Eternity” की संस्थापक अनुराधा गुप्ता कहती हैं, “अब माता-पिता अमेरिका में बसे एनआरआई दूल्हों से रिश्ते करने में हिचकिचा रहे हैं। उन्हें डर है कि वीजा नियमों में और सख्ती आने से नौकरी चली जाए, या फिर अमेरिका में सेटल होना मुश्किल हो जाए।”

19 वर्षीय मेडिकल स्टूडेंट सिद्धि शर्मा (हरियाणा) ने रॉयटर्स को बताया, “मेरा सपना था कि शादी के बाद अमेरिका जाऊं। लेकिन ट्रंप की नीतियों ने मेरा मन बदल दिया।” कई अन्य युवाओं और उनके परिवारों की सोच भी अब बदल रही है।

मैचमेकिंग कंपनी “Quick Marriages” की एमडी वनजा राव, जो पिछले 50 वर्षों से इस व्यवसाय में हैं, कहती हैं, “पहले तो एनआरआई दूल्हों के लिए लाइन लगी रहती थी। अब परिवार या तो शादियां टाल रहे हैं या स्थानीय विकल्पों की ओर देख रहे हैं।” उनका कहना है कि “H-1B से जुड़ी अनिश्चितता” और “अमेरिकी नीतियों की लगातार सख्ती” ने एनआरआई को लेकर भरोसा कम कर दिया है।