त्रिपुरा: सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने सीएए लागू होने का किया विरोध, जानें क्या कुछ कहा…

KNEWS DESK- केंद्र सरकार ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए लागू कर दिया। त्रिपुरा में सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने मोदी सरकार के इस फैसले की निंदा की और इसे आगामी लोकसभा चुनाव में हिंदुओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश बताया।

त्रिपुरा सीपीआई (एम) के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा कि इसे अब तक लागू नहीं किया गया था। ये हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और इस देश के वोटरों को बांटने की कोशिश है।

सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने बीजेपी पर लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाने और चुनावी बांड मुद्दे पर एसबीआई को सुप्रीम कोर्ट की हालिया फटकार से जनता का ध्यान भटकाने का आरोप लगाया।

कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने कहा, “सीएए अधिसूचना की कोशिश का तात्पर्य है कि वे जो भी कहानी ‘अब की बार 400 पार’ का दावा कर रहे हैं, ये सब सच्चाई से बहुत दूर हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, समय को देखें, चुनावी बांड मुद्दे पर पीएम मोदी बेनकाब होने जा रहे हैं। 15 मार्च को मोदी का असली चेहरा सामने आ जाएगा। वे ध्यान भटकाना चाहते हैं इसलिए सीएए लागू कर रहे हैं। ये त्रिपुरा की जनसांख्यिकी को पूरी तरह से बदलने जा रहा है।जहां तक ​​हमारे रुख का सवाल है, हम सीएए और एनआरसी का पूरी तरह विरोध करते हैं।”

विवादास्पद कानून को पारित किए जाने के चार साल बाद केंद्र के इस कदम की वजह से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

सीएए के नियम जारी हो जाने के साथ ही अब केंद्र की मोदी सरकार तीनों देशों के अल्पसंख्यकों यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता देगी। सीएए दिसंबर 2019 में पारित हुआ था। बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी। लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में हुए विरोध प्रदर्शन की वजह से इस लागू नहीं किया गया था।

सीपीआई (एम) राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा कि चुनाव की घोषणा से दो-तीन दिन पहले बीजेपी को इसकी घोषणा क्यों करनी पड़ी? ये राजनैतिक लाभ हासिल करने के अलावा और कुछ नहीं है। इसे अब तक लागू नहीं किया गया। ये नरेंद्र मोदी, अमित शाह का एक और संकीर्ण खेल है, जिससे हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना और इस देश के वोटरों को बांटना। साथ ही उन्होंने कहा कि टिपरा मोथा अब बीजेपी का भागीदार बन गया है। वे भी इसके खिलाफ थे। मैंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी जो अभी भी लंबित है। गण मुक्ति परिषद और सीपीआई (एम) के सचिव के रूप में मैं इसकी निंदा करता हूं।”

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