KNEWS DESK- अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा होनी है और आज यानी 20 जनवरी को गर्भगृह में अतिविशिष्ट पूजा-अर्चना होगी। रामलला मंदिर के पुजारी पंडित दुर्गा प्रसाद ने बताया कि आज के दिन भगवान का कई तरह का अधिवास होगा और उसके साथ ही रामलला के मंदिर में जागरण भी होगा। उन्होंने कहा कि आज एक विशेष तरह की अघोर पूजा भी होगी जो कि भगवान शिव से संबंधित होगा।
भगवान शिव की अघोर पूजा
पंडित दुर्गा प्रसाद ने बताया कि आज के कर्मकांड में सबसे प्रमुख है भगवान शिव की अघोर पूजा। उन्होंने बताया कि जितनी भी नकारात्मक शक्तियां हैं, उनको खत्म करके सकारात्मक शक्तियों के वहां लाने के लिए अघोर मंत्र से पूजा की जाएगी। उन्होंने साफ किया कि भगवान शिव और भगवान राम में अटूट संबंध है। यही वजह है कि इस तरह की पूजा का आयोजन प्राण प्रतिष्ठा से पहले किया जाता है।
भगवान का किया जाएगा अधिवास
पंडित दुर्गा प्रसाद ने बताया कि भगवान का औषधिवास सबसे प्रमुख कर्मकांड में से एक है, जिसमें देश और दुनिया की तमाम तरह की औषधियां को जल में भिगोकर रखा जाएगा। उसी जल से भगवान का अधिवास किया जाएगा। इसके पीछे का भाव यह होता है कि जितनी भी औषधि शक्तियां हैं वह विग्रह में समाहित हो जाएं। इसके लिए 114 कलश औषधि जल का प्रयोग किया जाएगा।
पंडित दुर्गा प्रसाद ने बताया कि जब भी कोई बहुत बड़ा अनुष्ठान होता है तो उसके एक दिन पहले जागरण का कार्यक्रम होता है हालांकि, उन्होंने बताया कि शाम की पूजा के बाद भगवान बेशक शैया में चले जाएं, लेकिन पुजारी और कई सारे लोग गर्भ गृह में जागरण करेंगे। यह जागरण एक तरीके से उत्सव जागरण होगा।
अस्थाई मंदिर में जिन रामलला की पूजा हो रही है, उन्हें आज शाम को गर्भ गृह के मंदिर में लाया जाएगा। पंडित दुर्गा प्रसाद ने बताया कि यह कार्यक्रम पहले भी किया जा सकता था, लेकिन मूर्ति को विभिन्न तरह के आधिवास से गुजारा जा रहा थाय़ इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अभी जो मूल विग्रह है, उसको आज लाया जा रहा है क्योंकि आज भगवान के जितने भी अधिवास हैं, वह खत्म हो रहे हैं। उसके बाद एक जगह बनाया जा रहा है जिसमें की अस्थाई मंदिर से लाकर विग्रह को रखा जाएगा।
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