KNEWS DESK- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा की, जिसके तहत मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये मासिक भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने इस योजना को देश में पहली बार लागू किया जा रहा एक ऐतिहासिक कदम बताया। आपको बता दें कि आज से कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर में पंजीकरण प्रक्रिया की शुरुआत की जाएगी। इसके अलावा, पार्टी के कार्यकर्ता और नेता अन्य मंदिरों और गुरुद्वारों में भी पंजीकरण शुरू करेंगे। हालांकि, पंजीकरण प्रक्रिया के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों का खुलासा नहीं किया गया। केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर यह भी कहा कि भाजपा से आग्रह है कि वह इस योजना को रोकने की कोशिश न करें।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर, यह योजना और भी व्यापक रूप से लागू की जाएगी और पुजारियों-ग्रंथियों की सेवा को सम्मान मिलेगा। उनकी यह टिप्पणी इस योजना के पीछे की भावना को स्पष्ट करती है, जिसमें संस्कृति और सभ्यता के संरक्षक के रूप में पुजारियों और ग्रंथियों की महत्वपूर्ण भूमिका को माना गया है।
आतिशी ने किया योजना का समर्थन
आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने भी इस योजना का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल पुजारियों और ग्रंथियों के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का संकल्प भी है। आतिशी ने कहा कि ये लोग पीढ़ियों से हमारी संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखते आए हैं और उनके योगदान को सहेजने का यह प्रयास है।
भाजपा ने केजरीवाल पर किया हमला
जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी इस योजना को सामाजिक न्याय और सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रही है, वहीं भाजपा ने केजरीवाल पर निशाना साधा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह पुजारियों और ग्रंथियों को धोखा दे रहे हैं। उन्होंने केजरीवाल को “हारे हताश सुल्तान” करार दिया और आरोप लगाया कि वह सत्ता में बने रहने के लिए सिर्फ लोकलुभावन घोषणाएं कर रहे हैं। सचदेवा ने यह भी कहा कि चुनावों से ठीक पहले यह घोषणा राजनीतिक लाभ के लिए की गई है।
भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने भी इस योजना को चुनावी स्टंट बताते हुए आरोप लगाया कि जब हार सामने होती है तो केजरीवाल को धर्म याद आता है। उन्होंने कहा कि आप सरकार ने मस्जिदों के मौलवियों और उनके सहायकों के लिए बहुत अधिक राशि खर्च की, लेकिन मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भी इस योजना पर सवाल उठाया है। उन्होंने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वह धर्म की राजनीति कर रहे हैं और पुजारियों-ग्रंथियों को मासिक भत्ता देने की घोषणा कर केवल वोटों का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। यादव ने यह भी कहा कि दिल्ली में मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों का वेतन पिछले 17 महीनों से लंबित है, लेकिन केजरीवाल ने इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दिया।
अरविंद केजरीवाल द्वारा घोषित पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना ने राजनीतिक और धार्मिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जहां आम आदमी पार्टी इसे समाज के प्रति सम्मान और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा का कदम मान रही है, वहीं भाजपा और कांग्रेस इस पर राजनीति कर रही हैं और इसे चुनावी लाभ से जोड़कर देख रही हैं। अब यह देखना होगा कि इस योजना का कितना असर होता है और क्या यह वास्तविकता में लागू हो पाती है।
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