लखनऊ, अतीक अहमद वो नाम जिसके नाम का सिक्का सिर्फ प्रयागराज नहीं बल्कि पूरे यूपी में चलता था. लेकिन अब उसके साम्राज्य पूरी तरह से खत्म होता दिखाई दे रहा है. योगी सरकार लगातार माफियाओं पर शिकंजा कसते हुए नजर आ रही है. इस कड़ी में सरकार ने माफिया अतीक पर भी अपना शिंकजा कसते हुए उसके साम्राज्य को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. अतीक के साम्राज्य को खत्म करने में यूपी के तीन आईपीएस अफसरों की अहम भूमिका थी. तो इस आर्टिकल में जानें गए उन तीन अफसरों के बारे में
12 अप्रैल को प्रयागराज की कोर्ट में पेश होने से पहले अतीक ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि “मैं अब मिट्टी में मिल चुका हूं. माफियागिरी भी खत्म हो गई है. अब तो बस रगड़ा जा रहा है.” योगी सरकार से मैं निवेदन करना चाहता हूं कि वो मेरे परिवार और बेटों को छोड़ दें. अतीक के इस बयान के दूसरे ही दिन अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम का एनकाउंटर कर दिया जाता है. रिपोर्ट्स की मानें तो बेटे के एनकाउंटर के बाद अतीक पूरी तरह से टूट चुका है. अतीक को इस हलात तक पहुंचाने में यूपी के इन तीन काबिलों के अफसरों की अहम भूमिका है.
- संजय खत्री, डीएम प्रयागराज- एक समय प्रयागराज में सिर्फ अतीक के नाम का डंका बोला करता था. साल 2021 में योगी सरकार ने आईएएस ऑफिसर संजय खत्री को प्रयागराज की कमान संभालने को दी.
गाजीपुर में डीएम रहते हुए संजय खत्री ने माफियाओं पर काफी कर्रवाई की थी. इन कर्रवाई के बाद वो सुर्खियों में आ गए थे. संजय रायबरेली के भी डीएम रहे चुके है.
प्रयागराज का चार्ज संभालते ही संजय ने अतीक पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया. अतीक द्वारा काले धंधों से कमाए जा रहे पैसों को प्रशासन तेजी से जब्त करना शुरू कर दिया. अतीक के ऊपर कानूनी मार के साथ ही आर्थिक मार भी तेजी से पड़ने लगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताकिब पिछले तीन साल में अतीक और उसके पिरवार की करीब 300 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति प्रशासन द्वारा जब्त की गई है. जिसमें प्रयागराज और लखनऊ में मौजूद इसका आलिशआन बंगला भी शामिल है. इस कर्रवाई के बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच शुरू कर दी है.
उमेश पाल की हत्या के बाद प्रयागराज प्रशासन के ऊपर काफी कड़े सवाल भी खड़े किए गए. कोर्ट ने यहां तक कहे दिया कि धूमनगंज थाने में अतीक का ही रिट चलता है, वहां सरकार फेल है. इसके बाद प्रशासन ने अपने ऊपर लगे दाग को मिटाने के उमेश पाल हत्या कांड केस की जांच में तेजी लाई और अतीक बीबी, बेटी और भांजियों के नाम मुकदमा दर्ज कर लिया. कोर्ट में सुनवाई के लिए अतीक को गुजरात की साबमती जेल से वाई रोड प्रयागराज वापस लाया गया. सभी को अतीक के एनकाउंटर का डर सताने लगा.
डीएम संजय खत्री अब पिपरी और कौशांबी में अतीक की अवैध संपत्तियों को चिन्हित कर रहे है. जिसके बाद प्रशासन द्वारा इन संपत्तियों पर भी कर्रवाई की जाएंगी.
संजय खत्री 2010 आईपीएस बैच के ऑफिसर है. मूल रूप से ये राजस्थान के रहने वाले है. सबसे पहले ये गाजीपुर के डीएम बनाए गए है. मायावती सरकार के समय ये सबसे पहले सुर्खियों में आए. जब उन्होंने जालौन में खनन सिंडिकेट पर छापेमारी की थी. यह सिंडिकेट सीधे पॉन्टी चड्ढा से जुड़ा हुआ था. राजनीतिक दबाव के बावजूद खत्री ने यह कार्रवाई की थी.
- अमिताभ यश, एडीजी एसटीएफ- अमिताभ यश इस समय यूपी के एडीजी एसटीएफ के पद पर तैनात है. यूपी में कई माफियाओं को खत्म करने में इनकी अहम भूमिका है. अतीक साम्राज्य को समाप्त करने में अमिताभ यश की अहम भूमिका है.
प्रयागराज में उमेश पाल हत्या कांड के बाद इसकी जांच यूपी सरकार ने एसटीएफ को दी थी. इस जांच का नेतृत्व अमिताभ यश खुद कर रहे थे. धूमनगंज थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर एसटीएफ की 18 टीमें जांच में जुट गई. यूपी एसटीएफ का पहला फोकस अतीक अहमद का बेटा असद, शूटर गुड्डू मुस्लिम और शूटर गुलाम मोहम्मद को गिरफ्तार करना था.
जिसके बाद गुरूवार को एसटीफ को अतीक अहमद का बेटा असद और शूटर गुलाम मोहम्मद का पता चलता है और पुलिस मुठभेड़ में दोनों मारे जाते है. अमिताभ यश लखनऊ से इसकी मॉनिटरिंग करते रहे. असद के एनकाउंटर के बाद यश तुरंत मीडिया से मुखातिब हुए और उसके मारे जाने की पुष्टि की. यश इसके बाद यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए.
कौन है आईपीएस अमिताभ राज
बिहार के भोजपुर से आने वाले अमिताभ के पिता राम यश सिंह भी आईपीएस थे. अपनी स्कूली पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पूरी करने के बाद उन्होंने UPSC की परीक्षा पास की और IPS बने. अमिताभ यश का पहला जिला बतौर कप्तान संतकबीरनगर रहा. यहां 11 महीने सेवाएं देने के बाद वह बाराबंकी महाराजगंज, हरदोई, जालौन, सहारनपुर, सीतापुर, बुलंदशहर, नोएडा और कानपुर में बतौर SP और SSP तैनात रहे.
- अनंत देव तिवारी एसएसपी एसटीएफ- इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद बैकफुट पर आई योगी सरकार ने उमेश पाल हत्याकांड के लिए 5 मार्च को बड़ा बदलाव किया था. उमेश पाल हत्या में शामिल शूटरों को पकड़ने की जिम्मेदारी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अनंत देव तिवारी को दी गई.
अनंत देव की टीम ने ही अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर किया. उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक पर कई कार्रवाई हुई, लेकिन बेटे की मौत के बाद उसे पहली बार रोते और नर्वस होते देखा गया.
असद पिता के जेल जाने के बाद उनका आपराधिक साम्राज्य देखता था. पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि असद ने गुड्डू बमबाज के साथ मिलकर उमेश हत्या को अंजाम दिया था.
कौन हैं अनंत देव तिवारी?
1987 बैच के पीपीएस अधिकारी अनंत देव तिवारी का 2006 में बतौर आईपीएस पदोन्नत हुए. तिवारी की पहचान यूपी में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में रही है. अनंत देव तिवारी का नेटवर्क काफी मजबूत माना जाता है, इसी वजह से बड़े से बड़े दुर्दांत अपराधी को पकड़ने में यूपी एसटीएफ उनकी सहायता लेती है.