KNEWS DESK- भारतीय संसद में आज एक बड़ी तकरार देखने को मिली, जब गृह मंत्री अमित शाह के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गईं। इस बयान को लेकर कांग्रेस ने जहां अमित शाह से इस्तीफे की मांग की, वहीं भाजपा ने विपक्ष पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। दोनों पक्षों के बीच तीखी नोक-झोंक के बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
अमित शाह का बयान और विवाद
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को लेकर कुछ ऐसे बयान दिए, जिन्हें विपक्ष ने विवादास्पद करार दिया। शाह के बयान के बाद से ही विपक्षी दलों में असंतोष फैल गया और कांग्रेस ने इसे बाबासाहेब का अपमान बताया। कांग्रेस के नेता इस बयान को लेकर शाह से माफी की मांग कर रहे हैं और उनका इस्तीफा भी मांगा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि शाह का बयान आंबेडकर के योगदान को कमतर दिखाने की कोशिश करता है, जो भारतीय समाज के लिए अभूतपूर्व था।
कांग्रेस का रुख और इस्तीफे की मांग
कांग्रेस ने गृह मंत्री के बयान को तुष्टीकरण की राजनीति से प्रेरित बताया और उनसे तुरंत इस्तीफा देने की मांग की। पार्टी के नेताओं ने कहा कि जब तक शाह इस बयान पर माफी नहीं मांगते, तब तक वे संसद में कोई भी कामकाजी कार्यक्रम चलने नहीं देंगे। कांग्रेस नेता ने शाह के खिलाफ हमलावर होते हुए कहा, “बाबासाहेब आंबेडकर के योगदान को इस तरह से नकारना पूरी भारतीय जनता का अपमान है, और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
भा.ज.पा. का पलटवार और विपक्ष पर आरोप
वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दल जानबूझकर शाह के बयान को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। भाजपा के प्रवक्ता ने कहा, “कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल झूठ की राजनीति कर रहे हैं और सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने बाबासाहेब आंबेडकर के योगदान को लेकर कभी कोई गलत बात नहीं कही।” भाजपा ने यह भी कहा कि विपक्ष को अपने आरोपों के लिए माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उनका बयान पूरी तरह से भ्रामक और निराधार था।
संसद में हंगामा और कार्यवाही का स्थगन
संसद में इस मुद्दे को लेकर भारी हंगामा हुआ, और दोनों पक्षों के बीच तीखी नोंक-झोंक के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। दोनों सदनों में सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे सदन में कामकाजी माहौल नहीं बन सका। कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी संसद परिसर में इस मुद्दे पर गहमागहमी जारी रही।
राजनीतिक माहौल और आगामी घटनाक्रम
यह विवाद राजनीतिक माहौल को और भी गरमा सकता है, खासकर तब जब देश में आगामी चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं। डॉ. आंबेडकर का नाम भारतीय राजनीति में एक अहम स्थान रखता है, और उनके योगदान पर किसी भी प्रकार का विवाद देशभर में बड़े स्तर पर चर्चा का विषय बन सकता है। अब यह देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या अमित शाह इस बयान को लेकर माफी मांगेंगे या इस पर अपना पक्ष साफ करेंगे।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
संसद में इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रिया तेज हो गई है। कई लोगों ने शाह के बयान को लेकर अपनी राय व्यक्त की, जिसमें से कुछ ने उनके बयान को सही ठहराया, जबकि अन्य ने इसे आंबेडकर के प्रति असम्मान माना। यह विवाद अब देशभर में राजनीतिक और सामाजिक बहस का हिस्सा बन चुका है। यह मामला आगे भी संसद में गहमागहमी और तीखी नोंक-झोंक का कारण बन सकता है, और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।
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