आतिशी के मुख्यमंत्री बनने पर दिल्ली भाजपा में बदलाव की आहट, नया मोर्चा बनेगा चुनौती

KNEWS DESK- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने इस्तीफे से राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। उनकी जगह आतिशी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के कदम ने सभी को चौंका दिया है। यह स्थिति कुछ हद तक 1998 के विधानसभा चुनावों से मिलती-जुलती है, जब भाजपा ने दिवंगत सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया था। उस समय प्याज की बढ़ती कीमतों के कारण कांग्रेस की शीला दीक्षित की सरकार बनी रही और भाजपा को 26 साल का वनवास झेलना पड़ा।

सियासी समीकरणों में बदलाव

आतिशी के मुख्यमंत्री बनने से दिल्ली की सियासत में हलचल मच गई है। आम आदमी पार्टी (आप) के इस कदम के बाद दिल्ली भाजपा में भी बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। आतिशी की नियुक्ति पर भाजपा महिला नेताओं को आगे बढ़ाने की रणनीति बना सकती है, क्योंकि महिला मुख्यमंत्री पर विपक्ष का हमला सहानुभूति में बदल सकता है।

आप पार्टी भले ही केजरीवाल के नाम से चुनाव लड़े, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी का चेहरा चुनावी मैदान में रहेगा। इस स्थिति में भाजपा को यह समझना होगा कि महिलाओं को साधना आसान नहीं होगा, खासकर जब आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के लिए कई जनहित योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि डीटीसी बसों में मुफ्त सफर और हर महिला को एक हजार रुपये का वजीफा।

भाजपा की रणनीति और चुनौती

भाजपा के लिए यह चुनावी समीकरण चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। विधानसभा में भाजपा के पास कोई महिला विधायक नहीं है, इसलिए एक महिला मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा करना आसान नहीं होगा। ऐसे में भाजपा को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा और आप को सीधे चुनौती देने की तैयारी करनी होगी।

कांग्रेस की रणनीति

आतिशी की मुख्यमंत्री बनने के बाद, कांग्रेस अब अपनी पिछली सरकार के विकास कार्यों का प्रचार कर सकती है। शीला दीक्षित के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को लेकर कांग्रेस आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश करेगी। पिछले चुनावों में भी कांग्रेस ने आप को विकास के मुद्दे पर चुनौती दी थी।

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