चुनाव आयोग की स्वायत्तता सरकार के नियंत्रण में आने की आशंका, विशेष सत्र में ये बिल ला रही सरकार

KNEWS DESK-  संसद के विशेष सत्र का आगाज हो चुका है। केंद्र की मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संसदीय मंत्रालय के मुताबिक, यह सत्र 18 सितंबर 2023 से 22 सितंबर तक चलेगा। सरकार का कहना है कि इस सत्र का मुख्य उद्देश्य आजादी के बाद बीते 75 साल की उपलब्धियों पर चर्चा करने का है। जी20 के आयोजन पर भी चर्चा की जाएगी और चार विधेयकों को भी पास कराने की कोशिश की जाएगी।

चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को खत्म कर सकता है यह बिल

संसद में जिन चार विधेयकों पर चर्चा होगी, उसमें एक विधेयक सबसे खास है और वो है मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023. इस पर पहले राज्यसभा में चर्चा होगी हालांकि इसे उच्च सदन में पहले ही पेश किया जा चुका है। राज्यसभा से पास होने के बाद यह बिल लोकसभा में पेश किया जाएगा लेकिन इस बिल को लेकर राजनीतिक पार्टियां, संविधान विशेषज्ञ और राजनीति कवर करने वाले पत्रकार असहज हैं, क्योंकि उन्हें आशंका है कि यह बिल चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और पारदर्शिता को खत्म कर सकता है।

इस बिल को लेकर हैं ये आशंकाएं 

ईसी-सीईसी (नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023) नियुक्ति वाला ये विधेयक कहता है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी होगी। उस तीन सदस्यीय कमेटी के प्रधानमंत्री अध्यक्ष होंगे। विपक्ष के नेता (विपक्ष के नेता नहीं होने पर लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता) उस कमेटी के दूसरे सदस्य होंगे तो वहीं तीसरे सदस्य की नियुक्ति प्रधानमंत्री करेंगे और वह सदस्य केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री होगा। इस बिल का यही प्रावधान सभी आशंकाओं की जड़ है।

बिल के पास होने के बाद सरकार के नियंत्रण में आ जाएगा चुनाव आयोग

ऐसे में बिल का विरोध कर रहे लोगों को डर है कि चुनाव आयोग अभी एक स्वतंत्र संस्था है जो बिल के पास होने के बाद सरकार के नियंत्रण में आ जाएगा। उन्होंने ये भी आशंका जताई है कि इससे भविष्य के चुनावों की निष्पक्षता खत्म हो सकती है।

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