डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले फर्जी और अवैध वोटरों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे SIR का विरोध राजद समेत विपक्षी दल कर रहे हैं। चुनाव आयोग का तर्क है कि SIR के जरिए फर्जी वोटरों को बाहर करके निष्पक्ष चुनाव कराया जाएगा पर विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि इसके माध्यम से उनके समर्थित वोट को काटा जा रहा है और भाजपा के समर्थित वोटों को जोड़ा जा रहा है। इसके चलते विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खटखटाया गया है। विपक्ष की तरफ से दायर याचिका पर आज पुनः सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। कयास लगाये जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर बड़ा फैसला दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई पर सत्ता पक्ष और विपक्ष समेत राजनीतिक गलियारे से संबंधित सभी लोग टकटकी निगाह से देख रहे हैं।
10 अगस्त को हुई सुनवाई में प्रक्रिया पूरी करने के दिए थे निर्देश
आपको बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच बिहार एसआईआर की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करेगी। इसके पहले 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में एसआईआर पर रोक लगाने से इनकार करते हुए चुनाव आयोग को प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा था।
65 लाख वोट काटे जाने का लगा है आरोप
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया था, जिसमें एसआईआर में बिहार के 65 लाख मतदाताओं को बिना कारण बताए छोड़ने का दावा किया गया। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल कर शीर्ष अदालत को बताया कि नियमों के तहत ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों की अलग से सूची प्रकाशित करना निर्धारित नहीं है।
चुनाव आयोग ने नहीं बताया था कारण
चुनाव आयोग ने कहा कि उसने राजनीतिक दलों के साथ ड्राफ्ट सूची साझा की है और ड्राफ्ट सूची में लोगों को शामिल न करने का कारण बताया आवश्यक नहीं है। आयोग ने यह भी कहा कि जिन्हें ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया है, उनके पास घोषणापत्र प्रस्तुत करने का विकल्प मौजूद है। चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे मतदाताओं को सुनवाई और प्रासंगिक दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा।