सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, सोनम वांगचुक की पत्नी को हिरासत आदेश क्यों नहीं दिया गया? केंद्र सरकार से जवाब तलब

KNEWS DESK- लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन भड़काने के आरोप में गिरफ्तार सोनम वांगचुक की रिहाई के लिए दायर हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि वांगचुक की पत्नी गीतांजलि को अब तक उनकी गिरफ्तारी का हिरासत आदेश क्यों नहीं सौंपा गया?

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजनिया की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई अगले सोमवार को तय की है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले को बेवजह सनसनीखेज न बनाया जाए और गीतांजलि को अपने पति से मिलने की अनुमति दी जाए।

सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद सोनम वांगचुक, जो लद्दाख में पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों को लेकर सक्रिय रहे हैं, पर हाल ही में हिंसक प्रदर्शन भड़काने का आरोप लगा है। इस आधार पर उन्हें हिरासत में लिया गया, जिसके बाद उनकी पत्नी गीतांजलि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया और तत्काल रिहाई की मांग की।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब गिरफ्तारी हुई है तो उनकी पत्नी को हिरासत आदेश की प्रति क्यों नहीं दी गई? कोर्ट ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया का मूल सिद्धांत है कि किसी की भी हिरासत का कारण उसे और उसके परिवार को स्पष्ट रूप से बताया जाए।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे थे, ने कहा कि हिरासत आदेश सौंपने से परिवार उसे नया आधार बनाकर अदालत में चुनौती दे सकता है। इस पर कोर्ट ने सख्त प्रतिक्रिया दी और कहा कि “इस तरह की दलीलों से संदेह पैदा होता है। यह मामला सनसनी न बने, लेकिन पारदर्शिता भी जरूरी है। पत्नी को आदेश सौंपने में हिचक क्यों?”

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि जब तक हिरासत के आधार नहीं मिलते, तब तक कोर्ट में किसी भी आदेश को चुनौती देना संभव नहीं। उन्होंने कहा, “बिना यह जाने कि गिरफ्तारी क्यों हुई, मैं किस आधार पर उसे चुनौती दूं?”

सिब्बल ने कोर्ट से आग्रह किया कि हिरासत आदेश तुरंत उपलब्ध कराया जाए, और रिकॉर्ड में दर्ज करने से पहले याचिकाकर्ता को उसकी जानकारी दी जाए।