संचार साथी ऐप पूरी तरह ऑप्शनल, कभी भी किया जा सकता है डिलीट, सिंधिया बोले- विपक्ष फैला रहा भ्रम

KNEWS DESK- मोबाइल कंपनियों को नए फोन में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करने के सरकारी निर्देश के बाद उठा राजनीतिक विवाद अब और तेज हो गया है। विपक्ष ने इसे नागरिकों की प्राइवेसी का उल्लंघन बताया, वहीं केंद्र सरकार ने सोमवार को यह साफ कर दिया कि ऐप न तो अनिवार्य है और न ही किसी तरह की जासूसी करता है।

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि विपक्ष जानबूझकर भ्रम फैला रहा है। यह ऐप उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए विकसित किया गया है और इसे रखना या हटाना पूरी तरह उपयोगकर्ता की मर्जी पर निर्भर है।

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि संचार साथी बाध्यकारी ऐप नहीं है। यह न तो कॉल मॉनिटर करता है और न ही जासूसी करता है। आपकी मर्जी है डाउनलोड करें, रखें, हटाएँ। विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं। सिंधिया ने बताया कि ऐप को अब तक 20 करोड़ से अधिक बार पोर्टल से और 1.5 करोड़ से ज्यादा बार ऐप के रूप में डाउनलोड किया जा चुका है।

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने ऐप का विरोध करते हुए कहा था कि नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। सरकार को लोगों के निजी संदेश देखने या निगरानी करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा CPI(M) सांसद जॉन ब्रिटास ने इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के पुट्टास्वामी फैसले का उल्लंघन बताया था।

सिंधिया ने कहा कि विपक्ष मुद्दों के अभाव में भ्रम पैदा कर रहा है, जबकि ऐप ने अब तक लाखों लोगों की मदद की है उनमें 1.75 करोड़ फर्जी मोबाइल कनेक्शन बंद किए, 20 लाख चोरी हुए फोन का पता लगाया, इनमें से 7.5 लाख फोन वापस उनके मालिकों को सौंपे गए। उन्होंने दोहराया कि यह ऐप सिर्फ सुरक्षा के लिए है और किसी भी प्रकार की निगरानी की अनुमति नहीं देता।

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