KNEWS DESK – लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा सरकार पर लगाए गए आरोप के बाद संसद के शीतकालीन सत्र में सियासी गर्माहट बढ़ गई है। राहुल ने दावा किया था कि केंद्र सरकार विदेशी नेताओं को विपक्ष से मिलने की परंपरा का पालन नहीं करने दे रही है। इस बयान के कुछ ही समय बाद विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से इस मुद्दे पर विस्तृत स्पष्टीकरण दिया गया है।
MEA का स्पष्टीकरण
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि किसी भी विदेशी दौरे के दौरान मंत्रालय केवल आधिकारिक बैठकों का प्रबंधन करता है, जिसमें आने वाले नेताओं की सरकारी अधिकारियों और संस्थानों के साथ मीटिंग शामिल होती हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकारी कार्यक्रमों के इतर, विदेशी मेहमान किन लोगों से मिलते हैं, यह पूरी तरह उनके डेलीगेशन द्वारा तय किया जाता है। इसमें भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं होती।
राहुल गांधी से किन-किन विदेशी नेताओं ने की मुलाकात?
MEA ने इस दावे को गलत बताया कि विदेशी नेताओं को विपक्ष से मिलने नहीं दिया जाता। मंत्रालय ने उदाहरण देते हुए बताया कि केवल जून 2024 से अब तक कई बड़े विदेशी नेता राहुल गांधी से मिल चुके हैं:
- शेख हसीना (पूर्व प्रधानमंत्री, बांग्लादेश) – 10 जून 2024
- फाम मिन्ह चिंग (प्रधानमंत्री, वियतनाम) – 1 अगस्त 2024
- अनवर इब्राहिम (प्रधानमंत्री, मलेशिया) – 21 अगस्त 2024
- नवीनचंद्र रामगुलाम (प्रधानमंत्री, मॉरिशस) – 16 सितंबर 2025
- क्रिस्टोफर लक्सन (प्रधानमंत्री, न्यूजीलैंड) – 8 मार्च 2025
यह सूची स्वयं दिखाती है कि विदेशी नेताओं की राहुल गांधी से मुलाकातें निर्बाध रूप से होती रही हैं।
राहुल गांधी ने लगाए थे आरोप
राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि पहले की सरकारें—चाहे वाजपेयी हों या मनमोहन सिंह—विदेशी नेताओं की मुलाकातों में विपक्ष को शामिल करती थीं, लेकिन वर्तमान सरकार इस परंपरा को रोक रही है। राहुल ने कहा कि विदेश यात्राओं के दौरान भी उन्हें संदेश आते हैं कि सरकार चाहती है कि मेहमान उनसे न मिलें। उनके अनुसार, “सरकार असुरक्षा के कारण ऐसा करती है।”
राहुल गांधी का कहना है कि विपक्ष का नेता भी भारत की आवाज़ और दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए विदेशी नेताओं को उनसे मिलने से व्यापक और संतुलित दृष्टिकोण मिलता है।