राज्यसभा में गूंजा ऑपरेशन सिंदूर का मुद्दा, RJD सांसद मनोज झा ने कहा- “राष्ट्रीय सुरक्षा नारा नहीं, संवेदनशील विषय है”

KNEWS DESK- राज्यसभा में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने सरकार और संसद को कड़ी लेकिन संतुलित आलोचना के माध्यम से कई गंभीर मुद्दों पर घेरा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कोई चुनावी नारा नहीं, बल्कि एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर विषय है, जिसे लेकर पूरे देश को सोचने की ज़रूरत है।

मनोज झा ने अपने भाषण में कहा, “जब कोई आपदा आती है, हादसा होता है, तब हम सब एक हो जाते हैं — यही देश की खूबसूरती है। लेकिन सेना और राजनीतिक नेतृत्व में फर्क होता है। सेना का शौर्य और बलिदान सर्वोपरि है, उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”

झा ने मनसा देवी हादसे से लेकर कश्मीर के वर्तमान हालात तक अनेक पहलुओं को उठाया और कहा कि आज जब हम सेना के बहादुरों को सलाम कर रहे हैं, तब जिम्मेदारियां तय करने की बात भी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “जिंदा लोग आंकड़े नहीं होते। मुआवजा और संवेदना के बीच भी एक वैक्यूम होता है, जिसे कोई कैमरा नहीं भर सकता। जब विंग कमांडर व्योमिका या कर्नल सोफिया जैसी बेटियां सामने आती हैं, तो हर देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। फिर हम क्यों मजहब पूछकर देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं?”

सांसद झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह “भारत का पक्ष रखने आए हैं”। इस पर झा बोले, “यह संसद ही भारत है। पक्ष और विपक्ष दोनों भारत हैं। सरकार देश नहीं होती, देश सरकार से बड़ा होता है। यहां आपको सरकार का पक्ष रखना चाहिए, भारत का नहीं — क्योंकि भारत तो हम सबका है।”

झा ने सरकार द्वारा बार-बार जवाहरलाल नेहरू को निशाना बनाने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य करते हुए कहा, “नेहरू अगर इतने साल बाद भी आपको परेशान कर रहे हैं, तो मान लीजिए — कुछ तो बात थी उस बंदे में। मुकदमा कर दीजिए, नेहरू को अदालत में बुला लीजिए।”

“कश्मीर को सिर्फ ज़मीन का टुकड़ा न समझा जाए,” — इस बात पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग भी उतनी ही कुर्बानी देते हैं जितना देश का कोई और हिस्सा। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीरियों की मानवीय प्रतिक्रिया को सराहा और कहा, “लोगों ने कंधा दिया, शटर डाउन किया, आंसू बहाए — इसे पहचानने की ज़रूरत है।”

अपने भाषण के अंत में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के एक हालिया दावे पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री से अपील की कि “आप संसद में आएं और स्पष्ट करें कि वह दावा झूठा है। उन्हें सदी का सबसे बड़ा झूठा घोषित करें।”

उन्होंने यह भी कहा कि विदेशों में गुडविल मिशन भेजना सराहनीय है, लेकिन ऐसे ही मिशन भारत के भीतर भी चलाए जाने चाहिए ताकि सामाजिक सौहार्द और आपसी विश्वास को पुनर्जीवित किया जा सके।