KNEWS DESK….स्कूल की किताबों में अगर आपने भारत के स्वाधीनता संग्राम का इतिहास पढ़ा होगा तो आपने कंपनी राज के बारे में भी जरूर पढ़ा होगा। दरअसल ब्रिटेन के राज परिवार ने भारत का नियंत्रण अपने हाथों में 1857 की क्रांति के बाद लिया था। उससे पहले भारत पर एक कंपनी का राज चल रहा था।किसी का समय हमेशा एक- सा नहीं रहता है।सुबह के बाद शाम होती है और शाम के बाद सवेरा अवश्य होता है। संयोगवश इस वक्त़ भारत के समय का पहिया ऐसा घूमा कि जो कंपनी भारत पर सदियों तक राज कर रही थी, आज उसका मालिक एक भारतीय ही बना बैठा है।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि चीन में भी व्यापार के नाम पर शासन किया था । कंपनी एक समय ब्रिटिश सत्ता और ताकत का प्रतीक बन गई थी ।
250 साल तक रहा कंपनी राज
ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में व्यापारिक अधिकार दिलाया थॉमस रो ने, जिसे तत्कालीन मुगल बादशाह जहांगीर से मंजूरी मिली थी।कंपनी के जहाजों ने 1608 ईस्वी में सूरत में लंगर डाला। आंध्र प्रदेश के मसूलीपट्टनम में कंपनी ने 1611 में पहली फैक्ट्री लगाई। उसके बाद कुछ ही सालों में कंपनी ने कलकत्ता, सूरत समेत कई शहरों में ठिकाने बना लिए। धीरे-धीरे कंपनी व्यापार छोड़ शासन करने लग गई। ईस्ट इंडिया कंपनी ने फ्रांस और पुर्तगाल की कंपनियों को युद्ध में हराया। सबसे निर्णायक साबित हुआ, 1764 का बक्सर युद्ध, जिसने भारत में कंपनी राज की जड़ें मजबूत कर दी। 1857 तक भारत पर कंपनी का राज चलता रहा, लेकिन उस साल हुई क्रांति के बाद ब्रिटिश राजघराने ने भारत का शासन कंपनी के हाथों से अपने पास ले लिया।
पूरा हुआ समय के पहिए का चक्कर
इतिहास के पहिए का पूरा चक्कर आया साला 2010 में।भारत को लूटकर एक समय दुनिया की सबसे अमीर कंपनी बनने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी को उस साल भारतीय मूल के बिजनेसमैन संजीव मेहता ने खरीद लिया। तब ईस्ट इंडिया कंपनी को खरीदने की डील मेहता ने 15 मिलियन डॉलर यानी करीब 120 करोड़ रुपये में की।
अब ये काम करती है ईस्ट इंडिया कंपनी
एक समय था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार छोड़िए, कई देशों में सरकारें चलाने का काम कर रही थी. क्या रेल और क्या जहाज, सब ईस्ट इंडिया कंपनी का हुआ करता था। और फिर एक समय है वर्तमान। अब मेहता ने उसे खरीदने के बाद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बना दिया है। अब यह कंपनी चाय से लेकर चॉकलेट और कॉफी से लेकर गिफ्ट के कई अन्य सामानों की ऑनलाइन बिक्री करती है।