KNEWS DESK- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा केंद्र सरकार पर बाढ़ प्रबंधन और गंगा सफाई में भेदभाव के आरोपों को केंद्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि राज्य को अब तक 1,290 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग दी जा चुकी है और भारत-भूटान सीमा पर नदी प्रबंधन के लिए संस्थागत ढांचे पहले से ही काम कर रहे हैं।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सोमवार को उत्तर बंगाल में भारी बारिश के चलते आई बाढ़ ने कई इलाकों में तबाही मचाई, जिसमें 30 लोगों की जान चली गई और दर्जनों अब भी लापता हैं। इस त्रासदी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र पर आरोप लगाए कि उनकी मांगों के बावजूद इंडो-भूटान नदी आयोग का गठन नहीं किया गया और केंद्र बाढ़ प्रबंधन व गंगा सफाई को लेकर उदासीन है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर जारी बयान में कहा कि भारत और भूटान के बीच संयुक्त विशेषज्ञ समूह (JGE), संयुक्त तकनीकी टीम (JTT) और संयुक्त विशेषज्ञ टीम (JET) जैसे स्थायी मंच पहले से ही काम कर रहे हैं, जो सीमापार नदियों से संबंधित मुद्दों पर लगातार संवाद और कार्रवाई कर रहे हैं। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी भी इन टीमों का हिस्सा हैं।
हाल ही में भूटान के पारो में हुई 11वीं JGE बैठक में भारत और भूटान ने उत्तर बंगाल में प्रवेश करने वाली आठ अतिरिक्त नदियों — हाशिमारा झोरा, जोगिखोला, रोकिया, धवला झोरा, गाबूर बसरा, गाबूर ज्योति, पाना और रईडक (प्रथम और द्वितीय) — पर संयुक्त अध्ययन करने का निर्णय लिया है। इन नदियों में तलछट जमाव, नदी कटाव और अचानक बाढ़ जैसे मुद्दों पर विस्तृत अध्ययन कर साल के अंत में JTT बैठक में रिपोर्ट पेश की जानी है।
ममता बनर्जी के इस आरोप पर कि राज्य को बाढ़ प्रबंधन के लिए केंद्र से कोई सहायता नहीं मिल रही, जल शक्ति मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि राज्य को FMBAP (Flood Management and Border Areas Programme) के तहत अब तक ₹1,290 करोड़ जारी किए जा चुके हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि कोई भी फंडिंग प्रस्ताव फिलहाल लंबित नहीं है।
गंगा सफाई योजना पर भी मुख्यमंत्री के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्र ने बताया कि पश्चिम बंगाल में नमामी गंगे कार्यक्रम के तहत 62 परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनकी कुल लागत ₹5,648.52 करोड़ है। इनमें 31 परियोजनाएं सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी हैं, 30 परियोजनाएं घाटों और शवदाह स्थलों के विकास से संबंधित हैं। मंत्रालय के अनुसार, इन परियोजनाओं में लगातार प्रगति हो रही है और राज्य सरकार की भागीदारी भी बनी हुई है।