शिव शंकर सविता- उत्तर प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्य करने के आदेश ने शिक्षा जगत में भूचाल ला दिया है। आदेश आने के बाद प्रदेश के करीब ढाई लाख शिक्षकों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। इसी तनाव के चलते महोबा और हमीरपुर में दो शिक्षकों ने बीते एक सप्ताह में आत्महत्या कर ली, जिससे मामला और भी संवेदनशील हो गया है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिक्षकों के समर्थन में खड़े हो गए हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिवीजन पीटीशन दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा –
“प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और सरकार की तरफ से उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। उनकी योग्यता और सेवा वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। इसलिए विभाग को सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।”
शिक्षकों में बढ़ा तनाव
शिक्षक नेता सुरेश जयसवाल का कहना है कि इस आदेश से प्रदेश के ढाई लाख शिक्षकों के सामने रोजगार संकट खड़ा हो गया है। शिक्षक मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, जिसका असर शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। उनका कहना है कि यह फैसला शिक्षकों की सेवा और अनुभव को पूरी तरह नकारता है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को आदेश दिया था कि कक्षा 1 से 8 तक बच्चों को पढ़ाने वाले सभी सरकारी और प्राइवेट शिक्षकों को टीईटी पास करना होगा।
- जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में 5 साल से कम का समय बचा है, उन्हें यह परीक्षा नहीं देनी होगी।
- बाकी सभी को परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा।
- असफल रहने पर शिक्षकों को सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।