KNEWS DESK – महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल आज यानी मंगलवार को समाप्त हो रहा है, लेकिन गठबंधन महायुति, जिसने विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की थी, अब तक मुख्यमंत्री के नाम पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले पाई है। भाजपा और शिवसेना के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही माथापच्ची के बीच, दो प्रमुख नेता देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे की नामों की चर्चा जोरों पर है, लेकिन अंतिम फैसला भाजपा आलाकमान पर निर्भर करेगा। कहा जा रहा है कि अगले 1-2 दिनों में महाराष्ट्र की राजनीतिक तस्वीर साफ हो जाएगी, और 28 या 29 नवंबर को शपथ ग्रहण हो सकता है।
क्या होगी स्थिति अगर सरकार शपथ नहीं ले पाती?
बता दें कि चर्चा यह भी है कि क्या विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद, अगर नई सरकार का गठन नहीं होता तो राष्ट्रपति शासन लग सकता है? हालांकि, इस बारे में जानकारों का कहना है कि यह धारणा गलत है। भारतीय संविधान में कोई ऐसी संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि 26 नवंबर के पहले नई सरकार का गठन अनिवार्य है। महाराष्ट्र विधानसभा के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि 26 नवंबर तक नई सरकार के गठन की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है।
विधानमंडल के एक अधिकारी ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा रविवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल को नव-निर्वाचित विधानसभा के सदस्यों के नामों के साथ राजपत्र की प्रतियां सौंपे जाने के बाद, राज्य की 15वीं विधानसभा पहले ही अस्तित्व में आ चुकी है। अधिकारी के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 73 के तहत जब निर्वाचित सदस्यों के नामों की अधिसूचना प्रस्तुत की जाती है, तब माना जाता है कि सदन का विधिवत गठन हो गया है।
महाराष्ट्र में पहले भी ऐसा हुआ है
राज्य में पहले भी ऐसी स्थिति आई है जब विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री ने शपथ ली। 2004, 2009, 2014 और 2019 में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। उदाहरण के तौर पर, 2004 में विधानसभा का कार्यकाल 19 अक्टूबर को समाप्त हुआ था, लेकिन मुख्यमंत्री ने 1 नवंबर को शपथ ली थी। इसी तरह, 2009 में 3 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हुआ था, लेकिन सीएम ने 7 नवंबर को शपथ ली थी।
क्या होगा अगर महायुति सीएम के नाम पर फैसला नहीं ले पाती?
अगर महायुति, जो बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के गठबंधन से बनी है, मुख्यमंत्री के नाम पर आज फैसला नहीं कर पाती, तो राज्य में एक और सवाल उठ सकता है कि क्या राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है? विशेषज्ञों के मुताबिक, यह संभावना नहीं है। अगर महायुति का फैसला देर से आता है, तो राज्य में कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे काम कर सकते हैं।
संविधान के अनुसार, जब तक नई सरकार नहीं बनती, तब तक राज्य में वर्तमान मुख्यमंत्री कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस स्थिति में, राज्यपाल शिंदे को नई सरकार बनने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कह सकते हैं।
क्या बीजेपी और शिवसेना में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद?
महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही चर्चा के कारण ही इस निर्णय में देरी हो रही है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 132 सीटें जीती हैं, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 सीटें हासिल की हैं। वहीं, एनसीपी ने 41 सीटें जीती हैं। बीजेपी के कई नेता चाहते हैं कि देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाए, जबकि शिंदे गुट के विधायक और शिवसेना के अन्य नेता यह दावा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद एकनाथ शिंदे को ही मिलना चाहिए, क्योंकि उनके नेतृत्व में ही शिवसेना ने बड़ी जीत हासिल की है। बीजेपी आलाकमान इस मुद्दे पर विचार कर रहा है कि किसे मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी जाए।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का इतिहास
महाराष्ट्र में अब तक तीन बार राष्ट्रपति शासन लागू किया जा चुका है। पहली बार 1980 में, जब शरद पवार को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके बाद 2014 में और फिर 2019 में भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। 2019 में, विधानसभा चुनाव के बाद सरकार गठन में देरी के कारण राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।