शिव शंकर सविता- बिहार की राजनीति में बड़ा सियासी धमाका हुआ है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। पार्टी का नाम ‘जनशक्ति जनता दल’ रखा गया है और इसका चुनाव चिह्न ‘ब्लैक बोर्ड’ है। तेज प्रताप ने अपने आधिकारिक X अकाउंट से पार्टी के पोस्टर को जारी कर इसकी औपचारिक घोषणा की।
एक्स पर दी जानकारी
तेज प्रताप यादव ने पोस्ट करते हुए लिखा, “हम लोग बिहार के संपूर्ण विकास के लिए पूर्ण रूप से समर्पित और तत्पर हैं। हमारा मकसद बिहार में संपूर्ण बदलाव कर एक नई व्यवस्था का नव निर्माण करना है। हम लोग बिहार के संपूर्ण विकास के लिए लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।” बता दें कि तेज प्रताप इस साल की शुरुआत में अपने पिता लालू प्रसाद यादव द्वारा पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद से ही नाराज चल रहे थे। लंबे समय से उनके और भाई तेजस्वी यादव के बीच मतभेद की खबरें आती रही हैं। अब विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने अलग पार्टी बना ली है, जिसे उनके सीधे तौर पर तेजस्वी यादव के खिलाफ राजनीतिक मोर्चा खोलने के रूप में देखा जा रहा है।
लालू परिवार में बढ़ती दरार
लालू यादव के परिवार में इस कदम से अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। एक ओर तेज प्रताप अपनी नई पार्टी लेकर मैदान में हैं, वहीं दूसरी ओर लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी हाल में किए गए अपने पोस्ट से राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है। रोहिणी ने शुक्रवार को अपने X अकाउंट पर लिखा, “मैंने बेटी और बहन के रूप में अपना कर्तव्य निभाया है और आगे भी निभाती रहूंगी। न तो मैं किसी पद की लालसा रखती हूं और न ही मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। मेरे लिए आत्मसम्मान सर्वोपरि है।” इसके साथ ही उन्होंने एक पुराना वीडियो भी शेयर किया जिसमें 2022 में अपने पिता को किडनी दान करने के बाद उन्हें ऑपरेशन थियेटर ले जाया जा रहा था। उन्होंने लिखा, “जो जान हथेली पर रखते हुए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने का जज्बा रखते हैं, बेखौफी, बेबाकी और खुद्दारी तो उनके लहू में बहती है।”
क्या बदल सकता है चुनावी समीकरण?
तेज प्रताप यादव का यह कदम न सिर्फ लालू परिवार की अंदरूनी राजनीति को उजागर करता है बल्कि बिहार की सियासत में नए समीकरण भी गढ़ सकता है। माना जा रहा है कि उनकी नई पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ चुनावी मैदान में आरजेडी और महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है। खासकर यादव वोट बैंक में इसका असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेज प्रताप के अलग होने से तेजस्वी यादव के लिए चुनौती बढ़ जाएगी। हालांकि तेज प्रताप का कितना असर चुनावी नतीजों पर पड़ेगा, यह आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि लालू परिवार की दरार अब सार्वजनिक हो चुकी है और इसका सीधा असर बिहार की सियासत पर पड़ने वाला है।