KNEWS DESK – पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। इसी बीच, नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग को एक विस्तृत पत्र लिखकर SIR के दूसरे चरण में केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यह फेज पूरे मतदाता सूची पुनरीक्षण की सबसे अहम कड़ी है, जिसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता किसी भी कीमत पर सुनिश्चित की जानी चाहिए।
सुवेंदु अधिकारी की मुख्य मांगें
उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि SIR का दूसरा चरण—जिसमें दावों, आपत्तियों और दस्तावेज़ों की जांच होती है—सबसे महत्वपूर्ण है। इस फेज में किसी भी तरह की गड़बड़ी अंतिम वोटर लिस्ट की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती है। इसलिए उन्होंने आयोग से तीन प्रमुख कदम उठाने की अपील की—
- केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को माइक्रो ऑब्जर्वर बनाया जाए
सुवेंदु का कहना है कि राज्य स्तर पर अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही हैं। इसलिए दूसरे फेज की निगरानी केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के हाथ में होनी चाहिए ताकि प्रक्रिया निष्पक्ष रहे। - स्क्रूटनी और सुनवाई का 100% CCTV कवरेज
उन्होंने मांग की है कि स्क्रूटनी से लेकर अंतिम सुनवाई तक की सभी प्रक्रियाओं को CCTV से रिकॉर्ड किया जाए और SIR समाप्त होने तक फुटेज सुरक्षित रखी जाए। - पारदर्शिता के लिए सख्त मॉनिटरिंग
उन्होंने कहा कि इस फेज में किसी तरह का समझौता न केवल रोल की शुद्धता को प्रभावित करेगा, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की मूल भावना पर भी आघात करेगा।
क्यों उठ रही है निगरानी की मांग?
अधिकारी ने दावा किया है कि दूसरे फेज के दौरान दखलअंदाजी और गलत प्रभाव डालने की कई शिकायतें सामने आई हैं। उनके मुताबिक, SIR की निष्पक्षता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब इसे बाहरी, निष्पक्ष और केंद्र के नियंत्रण में रहने वाले माइक्रो ऑब्जर्वर देखें।
SIR पर बंगाल में सियासी टकराव तेज
पश्चिम बंगाल समेत नौ राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया जारी है। फॉर्म भरने की आखिरी तारीख 14 फरवरी है, जिसके बाद स्क्रूटनी और सुनवाई होगी।
बीजेपी का दावा है कि इस प्रक्रिया से मतदाता सूची का शुद्धिकरण होगा और बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर बाहर किया जा सकेगा। TMC SIR का विरोध कर रही है और इसे राजनीतिक साजिश बता रही है।