KNEWS DESK- बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि वोटर लिस्ट से लोगों को बाहर करने के बजाय समावेश (Inclusion) की कोशिश की जानी चाहिए। साथ ही ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि नामांकन प्रक्रिया में आधार कार्ड और वोटर फोटो पहचान पत्र (EPIC) को दस्तावेजों की सूची में क्यों नहीं जोड़ा गया? जस्टिस कांत और जस्टिस बागची की पीठ ने सुझाव दिया कि यदि कोई व्यक्ति आधार या वोटर ID दिखाता है, तो उसे मान्य दस्तावेज माना जाना चाहिए।
चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि आधार कार्ड तो फॉर्म में मेंशन है, लेकिन EPIC को विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है। वहीं राशन कार्ड को लेकर आयोग ने आपत्ति जताई है।
कोर्ट ने कहा कि यदि दस्तावेजों की जांच के बाद फर्जीवाड़ा सामने आता है, तो उस पर मामला-दर-मामला (case-to-case basis) पर कार्रवाई होनी चाहिए। परंतु, सभी को पहले से ही शक की निगाह से देखकर बाहर करने की प्रवृत्ति उचित नहीं है।
कोर्ट ने दो टूक कहा कि यदि आधार और वोटर ID को दस्तावेजों की सूची में नहीं जोड़ा गया तो इससे लाखों लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जा सकता है, जो कि लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का प्रकाशन रोका नहीं जाएगा, लेकिन इसकी वैधता लंबित याचिकाओं के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगी।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि उन्हें अपनी बहस के लिए कितना समय चाहिए, ताकि आगे की सुनवाई की रूपरेखा तय की जा सके। अब मंगलवार (30 जुलाई) सुबह 10:30 बजे इस मामले में सुनवाई की तारीख तय की जाएगी। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन पर सवाल उठाए। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग का हलफनामा देखा है और इसपर मंगलवार को विस्तार से विचार किया जाएगा।