KNEWS DESK – विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision — SIR) के कार्य को लेकर देशभर में तेज़ी से काम जारी है, लेकिन इस प्रक्रिया का सबसे ज्यादा बोझ बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) पर पड़ रहा है। लगातार बढ़ते प्रेशर, लंबी ड्यूटी और मानसिक तनाव के चलते कई BLOs के आत्महत्या करने की खबरें सामने आईं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए राज्यों को सख्त निर्देश जारी किए।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और आयोग को स्पष्ट संदेश दिया
मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राज्यों और राज्य चुनाव आयोगों से कहा कि SIR प्रक्रिया में लगे BLOs पर काम का बोझ कम करने के लिए तत्काल कदम उठाएं। अदालत ने साफ कहा कि BLOs मानव हैं, मशीन नहीं—इसलिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
BLO पर दबाव कम करने के लिए कोर्ट के तीन बड़े निर्देश
1. SIR के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती
अदालत ने राज्यों को आदेश दिया कि SIR प्रक्रिया में लगे BLOs की मदद के लिए तुरंत अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात किया जाए।
इससे BLOs के लंबे कार्य घंटे कम होंगे और कार्यभार संतुलित रहेगा।
2. छूट (Exemption) के अनुरोधों पर व्यक्तिगत आधार पर विचार
यदि कोई BLO स्वास्थ्य समस्या, पारिवारिक कारण या किसी विशेष परिस्थिति का हवाला देकर छूट मांगता है, तो उस पर केस-टू-केस आधार पर विचार किया जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि छूट दिए जाने पर तुरंत किसी अन्य कर्मचारी को उसकी जगह तैनात किया जाए ताकि SIR का काम प्रभावित न हो।
3. कोई विकल्प न बचे तो अधिकारी सीधे सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि BLOs को किसी तरह की राहत नहीं दी जा रही है या उनके अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, तो वे सीधे अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं।
टीवीके ने उठाए थे धमकियों और FIR के मुद्दे
टीवीके (टीचर्स वॉयस ऑफ केरल) ने कोर्ट में बताया कि कई BLOs पर SIR में गलती या देरी के चलते FIR दर्ज करने और जेल भेजने जैसी धमकियां दी जा रही हैं। इस पर अदालत ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि BLOs पर अत्याधिक दबाव डालना अनुचित है।
कौन करेगा SIR की ड्यूटी? कोर्ट का स्पष्ट जवाब
अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग (ECI) द्वारा SIR के लिए प्रतिनियुक्त (deputized) किए गए सरकारी कर्मचारियों को यह ड्यूटी निभानी ही होगी। हालांकि यदि BLO किसी कारणवश SIR का काम नहीं कर पाता, तो राज्य अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती कर सकता है।
SIR की टाइमलाइन बेहद सख्त होने के चलते BLOs पर हाल के दिनों में अचानक दबाव बढ़ गया था। कई राज्यों में BLOs द्वारा आत्महत्या जैसी दुखद घटनाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह फैसला न केवल BLOs के हितों की रक्षा करेगा, बल्कि चुनावी प्रक्रिया को भी अधिक सुचारु और मानवीय तरीके से संचालित करने में मदद करेगा।