डिजिटल डेस्क- दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम सुनवाई की। चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजरिया की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह 7 अक्टूबर तक एक ठोस और संतुलित नीति लेकर आए, जिससे दिल्ली एनसीआर के बाजार में केवल ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री हो।
प्रतिबंधों को लागू कराना मुश्किल भरा होता है- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पिछले अनुभवों से यह स्पष्ट हुआ है कि पूर्ण रूप से किसी प्रतिबंध को लागू करना अक्सर मुश्किल होता है। अदालत ने अवैध खनन का उदाहरण देते हुए बताया कि उस पर भी पूर्ण रोक लगाने के बावजूद माफिया सक्रिय रहा। इस बात को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पटाखों के मामले में भी संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
अगले आदेश तक नहीं होगी पटाखों की बिक्री
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर के उन पटाखा विक्रेताओं को अस्थायी राहत दी है, जिनके पास नेशनल एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (NEERI) से प्रमाण पत्र प्राप्त है। हालांकि, कोर्ट ने शर्त रखी है कि अगले आदेश तक ये विक्रेता पटाखों की बिक्री नहीं कर सकते। सुनवाई के दौरान पटाखा विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उस समय अदालत ने ग्रीन क्रैकर्स को मंजूरी दी थी और उनकी मैन्युफैक्चरिंग पर रोक नहीं लगाई थी। वहीं, दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि ग्रीन क्रैकर्स की मॉनिटरिंग का काम लाइसेंसिंग और पुलिस प्रशासन के अंतर्गत आता है।
पूर्ण प्रतिबंध कोई स्थायी समाधान नहीं- सुप्रीम कोर्ट
पर्यावरण मंत्रालय ने अपने दस्तावेज़ में स्पष्ट किया कि पूर्ण प्रतिबंध कोई स्थायी समाधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात पर सहमति जताई और कहा कि अतिवादी फैसले गंभीर परिणाम दे सकते हैं। अदालत ने केंद्र और संबंधित स्टेकहोल्डर्स से कहा कि वे एक व्यावहारिक नीति तैयार करें, जो पर्यावरण संरक्षण और व्यापार दोनों को संतुलित करे।