सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब, राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन पर जारी किया नोटिस

डिजिटल डेस्क- सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन को लेकर दाखिल एक याचिका पर शुक्रवार को अहम टिप्पणी की और चुनाव आयोग (ECI) को नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए राजनीतिक दलों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद जरूरी है। यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने आया। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा कि उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल को पक्षकार नहीं बनाया है। बेंच ने उपाध्याय से सभी राष्ट्रीय दलों को पक्षकार बनाने को कहा। संक्षिप्त बहस के बाद अदालत ने केंद्र, चुनाव आयोग और विधि आयोग को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।

फर्जी दलों पर गंभीर आरोप

याचिका में तर्क दिया गया है कि देश में बड़ी संख्या में राजनीतिक दल केवल काले धन को सफेद करने के लिए बनाए जाते हैं। इनमें से लगभग 90 फीसदी दल कभी चुनाव भी नहीं लड़ते। आरोप है कि ये दल हवाला के जरिए नकद चंदा लेते हैं और 20 फीसदी कमीशन काटकर चेक के जरिए पैसा लौटाते हैं। याचिका में 13 जुलाई 2025 को आयकर विभाग की छापेमारी का हवाला भी दिया गया है, जिसमें दो राजनीतिक दलों के दफ्तरों से 500 करोड़ रुपये का काला धन बरामद हुआ था। याचिका में कहा गया है कि ऐसे “फर्जी राजनीतिक दल” न सिर्फ लोकतंत्र के लिए खतरा हैं बल्कि अपराधियों, अपहरणकर्ताओं, ड्रग तस्करों और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों से पैसा लेकर उन्हें पार्टी पदाधिकारी भी बना देते हैं।

अलगाववादियों तक का हवाला

याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के पंजीकरण और कामकाज को लेकर कोई ठोस नियम-कानून नहीं हैं। कई अलगाववादी भी चंदा इकट्ठा करने के लिए अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर पुलिस सुरक्षा तक हासिल कर लेते हैं।

नियम बनाने की मांग

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दल सार्वजनिक कार्य करते हैं, इसलिए उनके कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जरूरी है। याचिकाकर्ता ने विधि आयोग को निर्देश देने की मांग भी की है कि वह विकसित लोकतांत्रिक देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन कर राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करे।